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मजदूरों के बच्चों को पढ़ाता है ये हेड कॉनस्टेबल
बता दें कि ये गरीब मासूम बच्चे लाल किले में काम करने वाले मजदूरों के हैं। इन्हें लायक बनाने का बीड़ा दिल्ली पुलिस के हेड कॉनस्टेबल थान सिंह ने उठाया है। वे हर महीने अपनी सैसरी से 1500 रुपए इन बच्चों के भविष्य के ळिए खर्च करते हैं। वे इस पैसे से उनके लिए पेंन, पेंसिल और किताब-कॉपी का इंतजाम करते हैं।
काफी गरीबी में बीता है हेट कॉनस्टेबल थान सिंह का बचपन
डीसीपी नूपुर प्रसाद जब इस बारे में पूछा गया तो उन्हें ने बताया कि थान सिंह मूल रूप से दिल्ली के निहाल विहार के रहने वाले है। इन दिनों वह कोतवाली थाना एरिया में लालकिला चौकी में तैनात हैं। वे 2010 से पुलिस में कार्यकर रहे हैं। थान सिंह ने बताया कि वह भी कभी इन बच्चों की तरह थे। वह बेहद गरीबी में पले-बढ़े और स्ट्रीट लाइट के नीचे बैठकर पढ़ाई करते थे। नौकरी लगने से पहले पेट पालने के लिए वह मजदूरी भी करते थे।
मजदूरों के पास नहीं बच्चों को पढ़ाने का पैसा
थान सिंह ने बताया कि लाल किले के अंदर आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की तरफ से काफी समय से काम चल रहा है। इसके लिए लगभग 150 मजदूर काम कर रहे हैं। इन मजदूरों के पास इतना पैसा नहीं होता कि वे अपने बच्चों को स्कूल में पढ़ा-लिखा सके। मजदूरों के छोटे-छोटे बच्चे दिनभर बेवजह घूमते हैं। लाला किला देखने आने-जाने वाले टूरिस्टों के फेंके हुए सामान, खाली बोतलें ये बच्चे उठाते थे। यह सब उनसे देखा नहीं जा रहा था। एक दिन वे झुग्गियों में गए, उन बच्चे के मां-बाप से बातचीत की और बच्चों को पढ़ने के लिए भेजने को राजी किया।
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थान सिंह दो साल से कर रहे हैं ये काम
आपको बता दें कि थान सिहं दो साल से यह काम कर रहे हैं। उनके इस स्कूल में 30 से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं। वह रोज पांच से साढ़े छह बचे तक बच्चों पढ़ाते हैं। वहीं, थान सिंह की इस पहल से डीसीपी नूपुर प्रसाद ने उनकी काफी तारिफ की। उन्होंने कहा कि थान सिंह के इस काम से बच्चों का भविष्य बना रहा है। वे पढ़-लिख रहे हैं।