दरअसल ताहिर हुसैन की सदस्यता इस वजह से रद्द की गई थी क्योंकि वे लगातार नगर निगम के सदन की तीन बैठकों में हिस्सा लेने नहीं पहुंचे थे। हालांकि ये कयास लगाए जा रहे थे कि दिल्ली दंगों के चलते उनकी सदस्यता रद्द की गई है, लेकिन इसके पीछे मुख्य वजह उनके बैठकों में शामिल नहीं होने को बताया गया था।
दरअसल फरवरी में हुए दंगों से पहले ही ताहिर निगम की बैठकों में हिस्सा नहीं ले रहे थे। जनवरी, फरवरी के अलावा वे जून और जुलाई में बिना किसी जानकारी या सूचना के वे बैठकों से गायब रहे।
आपको बता दें कि अगर निगम का कोई सदस्य लगातार तीन बैठकों में बिना किसी सूचना के नदारद रहता है तो निगम के अधिनियम की धारा 35 की उप धारा दो में ये प्रावधान है कि निगम उस सदस्य की सदस्यता को रद्द कर सकता है।
दिल्ली की तीनों निगर निगम मिलाकर कुल 64 में से फिलहाल 61 पार्षद ही हैं। तीन पार्षदों ने विधायक निर्वाचित होने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद लॉकडाउन की वजह से कोई बैठक ना होने पाने के चलते तीन सीटें अब भी खाली पड़ी हैं।