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DRDO ने बनाया बायो सूट, कोरोना मरीजों के इलाज में जुटे डॉक्टरों के लिए माना जा रहा है जरूरी

Bio suit चिकित्सा पेशेवरों के लिए पीपीई की तरह काम करेगा DRDO ने प्रति दिन 15 हजार बायो सूट तैयार करने का लक्ष्य रखा वर्तमान में डीआरडीओ की 7 हजार बायो सूट तैयार करने की क्षमता है

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नई दिल्ली। देश के प्रमुख सुरक्षा संस्थानों में से एक रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ( DRDO ) ने कोरोना वायरस से संक्रमित ( coronavirus ) लोगों का इलाज कर रहे डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की सुरक्षा के लिए बायो सूट (Bio suit) विकसित किया है। इसे डीआरडीओ की विभिन्न प्रयोगशालाओं में कार्यरत वैज्ञानिकों ने मिलकर विकसित किया है। यह कोरोना मरीजों की देखरेख में जुटे चिकित्सा पेशेवरों के लिए व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण ( PPE ) की तरह काम करेगा। बायो सूट को कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों व अन्य पैरा मे मेडिकल स्टाफ के लिए जरूरी माना जाता है।

DRDO से मिली जानकारी के मुताबिक पूरे देश में PPE की बढ़ती मांग को देखते हुए प्रतिदिन कम से कम 15 हजार बायो सूट का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा गया है। इस समय भारत कोरोना वायरस संक्रमितों का इलाज करने वाले डॉक्टरों और पैरामेडिकल कर्मियों के लिए पीपीई की भारी कमी का सामना कर रहा है। भारत सरकार भी वैश्विक बाजार से पीपीई, वेंटिलेटर और एन-95 मास्क खरीदने पर विचार कर रही है।

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बता दें कि गुरुवार को पीपीई की कमी का मुद्दा पीएम मोदी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत में राज्यों की मुख्यमंत्रियों ने उठाया था। दक्षिण भारतीय राज्यों ने इसकी कमी को लेकर गंभीर चिंता जताई थी। मुख्यमंत्रियों ने पीएम मोदी से कहा था कि पीपीई के अभाव में कोरोना मरीजों का इलाज तेजी से नहीं हो रहा है। यह हमारे लिए एक चुनौती है।

संभवत: इस बात को ध्यान में रखते हुए डीआरडीओ बड़े पैमाने पर बायो यूट का उत्पादन शुरू करने की योजना पर काम कर रहा है। ताकि कोरोना वायरस के संक्रमितों का इलाज कर रहे डॉक्टरों और पैरामेडिकल कर्मियों की पीपीई के लिए भारी मांग के अनुपात में इसकी आपूर्ति की जा सके। रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया है कि मौजूदा समय में एक दिन में 7 हजार बायो सूट बनाने की क्षमता है। लेकिन इसे बढ़ाकर 15 हजार करने की योजना है।

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डीआरडीओ की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि डीआरडीओ की विभिन्न प्रयोगशालाओं में कार्यरत वैज्ञानिकों ने वस्त्र, परत और नैनोटेक्नोलॉजी में अपनी विशेषज्ञता का इस्तेमाल कर पीपीई विकसित किया है। बायो सूट में सुरक्षा के लिए विशेष परत के साथ खास तरह के रेशों का इस्तेमाल किया गया है। सूट को वस्त्र उद्योग की मदद से विभिन्न कसौटियों पर परखने के बाद तैयार किया गया है और इससे साथ ही कृत्रिम खून से रक्षा का परीक्षण भी किया गया है।


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