
नई दिल्ली। देश की नजर अब तक बहुप्रतीक्षित मिशन चंद्रयान 2 पर टिकी है। ISRO लगातार विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित करने में लगा हुआ है, लेकिन अब तक कामयाबी नहीं मिली है। आलम ये है कि अब चांद पर शाम होने लगी है और अब विक्रम से संपर्क की उम्मीद लगभग खत्म हो गई है।
दरअसल, सात सितंबर को देर रात 1.50 बजे के आसपास विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर गिरा था। जिस समय चंद्रयान 2 का विक्रम लैंडर चांद पर गिरा उस वक्त वहां सुबह थी। यानी सूरज की रोशनी चांद पर पड़नी शुरू हुई थी। चांद का पूरा दिन यानी सूरज की रोशनी वाला पूरा समय पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है। यानी 20 या 21 सितंबर को चांद पर रात हो जाएगी।
14 दिन काम करने का मिशन लेकर गए विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के मिशन का टाइम पूरा हो जाएगा। आज 16 सितंबर है यानी चांद पर 20-21 सितंबर को होने वाली रात से कुछ घंटे पहले का वक्त। इसका मतलब यहुआ कि अब चांद पर शाम का वक्त शुरू हो चुका है। लिहाजा, विक्रम से अब संपर्क होने की उम्मीद धुंधली पड़ती जा रही है।
एक मीडिया हाउस को नासा के साइंटिस्ट नोआ ई पेत्रो ने बताया कि चांद पर शाम होने लगी है। उन्होंने कहा कि नासा का सेटेलाइट विक्रम लैंडर की तस्वीरें तो लेगा। लेकिन, इस यह कन्फर्म नहीं है कि तस्वीरें साफ होंगी या नहीं। उन्होंने कहा कि शाम को सूरज की रोशनी कम होती है इसलिए चांद की सतह पर मौजूद किसी भी वस्तु की स्पष्ट तस्वीरें लेना काफी चुनौतीभरा होगा। हालांकि, उन तस्वीरों को इसरो के साथ साझा किया जाएगा।
इतना ही नहीं अगर 20-21 सितंबर को अगर कोई भी एजेंसी विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित करने में कामयाब हो सका तो ठीक है नहीं तो दोबारा विक्रम से संपर्क स्थापित करना किसी चमत्कार से कम नहीं होगा। क्योंकि, चांद पर रात शुरू हो जाएगी जो पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होगी और चांद के उस हिस्से में सूरज की रोशनी नहीं पड़ेगी जहां विक्रम लैंडर गिरा हुआ है। अब देखना यह है कि बचे हुए दिनों में इसरो या फिर नासा विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित करने में कामयाब होता है या नहीं।
Published on:
16 Sept 2019 11:39 am
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