ऐसे तैयार की रिपोर्ट
रिपोर्ट में तीन श्रेणियों को शामिल किया है। पालतू, काम करने वाले और सड़क पर रहने वाले जानवरों पर हिंसा को शामिल किया है। इसके अलावा बूचडख़ानों, चिडिय़ा घर, प्रयोगशाला व दुर्घटनाओं के शिकार होने वाले पशु शामिल नहीं हैं।
सबसे अधिक हिंसा
साल 2010 से 2020 के बीच करीब 47 प्रजातियों के पांच लाख जानवर हिंसा का शिकार हुए। इसमें खच्चरों पर सबसे अधिक हिंसा हुई है।
क्रम जानवर-पक्षी हिंसा
1- खच्चर 3,80,000
2- गोवंश 54,198
3- घोड़ा 21,685
4- कुत्ता 19,472
5- पक्षियों 8,520
10 गुना ज्यादा हिंसा
इंसानी हिंसा से मौतों की वास्तविक स्थिति से 10 गुना ज्यादा है, क्योंकि पशु हिंसा के 10 में से एक ही मामले रिपोर्ट होते हैं। इस तरह हर दिन 50 पशुओं की मौत यानी हर घंटे दो से ज्यादा पशुओं की मौत हो रही है।
वर्ष दर्ज मामले
2010-12
2011-31
2012-46
2013-50
2014-64
2015-133
2016-252
2017-289
2018-507
2019-700
2020-301
ये बदलाव जरूरी
1 – पशु कल्याण, संरक्षण के लिए मंत्रालय बने
2 – पशु अपराधों को एनसीआरबी में शामिल करें
3 – पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 में बदलाव
4 – पशुओं पर कू्ररता की सजा तय हो
क्रूरता की हद
1- गोवा : कुत्ते के साथ बलात्कार
2- तेलंगाना : लंगूर को लटकाकर पीट-पीट कर मारा
3- लुधियाना : स्ट्रीट डॉग को स्कूटर से दो किमी घसीटा, मौत
1000 मामलों में 4 तरह की हिंसा
– 82 यौन शोषण के मामले
– 266 गुस्से में हत्या के मामले
– 400 खौलता पानी, तेजाब डाला
– 252 बांधकर मारने व अन्य हिंसा