
नई दिल्ली। नए किसान कानून (New Farm Law) को लेकर पिछले करीब 2 महीने से सरकार (Govt.) और किसान (Kisan) आमने-सामने हैं। अब तक 11 दौर की बात हो चुकी है, मगर किसान अभी भी दिल्ली से सटी सीमाओं (Delhi Borders) पर जुटे हैं। अब किसान 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च (tractor parade) निकालने की तैयारी में जुटे हैं। कुंडली बॉर्डर (Kundli Border) पर करीब 60 हजार किसान पहले से डेरा डाले हुए हैं, परेड के लिए अभी तक 40 हजार पहुंचे। अगर 26 जनवरी को किसान ट्रैक्टर मार्च निकालते हैं तो ऐसा पहली बार नहीं होगा। इससे पहले भी गणतंत्र दिवस पर ऐतिहासिक परेड में ट्रैक्टर परेड निकल चुकी है। मगर फर्क इतना था कि इस बार विरोध रैली निकल रही और इससे पहले शान से निकली थी।
1955 में निकली थी पहली बार राजपथ पर परेड
दिल्ली में 26 जनवरी, 1950 को पहली गणतंत्र दिवस परेड, राजपथ न होकर इर्विन स्टेडियम (आज का नैशनल स्टेडियम) में हुई थी। वर्ष 1950-1954 के बीच दिल्ली में गणतंत्र दिवस का समारोह, कभी इर्विन स्टेडियम, किंग्सवे कैंप, लाल किला तो कभी रामलीला मैदान में आयोजित हुआ। वष्र 1954 में पहली बार राजपथ पर गणतंत्र दिवस की परेड शुरू हुई थी।
1952 में पहली बार निकली थी ट्रैक्टर झांकी
वर्ष 1952 में बीटिंग रिट्रीट का कार्यक्रम शुरू हुआ था। उस समय पहली बार परेड में ट्रैक्टर शामिल हुए थे। इन ट्रैक्टरों पर भारतीय संस्कृति की झलक उकेरी गई थी। जिसमें मशीन का चिन्ह भी शामिल किया गया था। इसके अलावा इसी ट्रैक्टर झांकी में सफेद कबूतर को भी दर्शाया गया था। जिसका आशय था कि ये मुल्क शांति पसंद करता है।
26 जनवरी को फिर निकलेगी ट्रैक्टर रैली
किसान नेताओं का कहना है कि इस बार 26 जनवरी पर निकलने वाली ट्रैक्टर रैली काफी ऐतिहासिक होगी। इसे सफल बनाने के लिए ज्यादा से ज्यादा किसान नेता जुट रहे हैं। यही कारण है कि दिल्ली की सीमाओं पर परेड के लिए लगातार किसान पहुंच रहे हैं और कुंडली बॉर्डर पर एक लाख किसान जमा हो गए हैं। इस तरह वहां करीब 40 हजार से ज्यादा किसान अभी तक केवल ट्रैक्टर परेड के लिए पहुंचे हैं और एक ही दिन में पांच हजार ट्रैक्टर लेकर किसान पहुंचने से वह भी करीब 20 हजार तक हो गए हैं।
झांकियों में दिखाई जाएगी किसानों की दुर्दशा
26 जनवरी को निलकने जा रही ट्रैक्टर रैली में करीब 50 तरह की झांकियां होंगी। वह झांकियां अलग-अलग थीम पर होंगी और उन सभी का रंग भी अलग होगा। इन झांकियों के जरिए ही बताया जाएगा कि किसान किस तरह से खेतों में मेहनत करता है और उसके बाद भी किसान की क्या दुर्दशा है। यह झांकियां भी अलग-अलग प्रदेश के किसानों ने तैयार की है, जिससे एकजुटता का संदेश भी दिया जा सके।
Published on:
25 Jan 2021 09:53 am
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