
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, UPSE परीक्षा के अभ्यर्थियों को नहीं दिया जाएगा अतिरिक्त मौका
नई दिल्ली। केंद्र ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) में कहा कि वह कोविड-19 महामारी ( Coronavirus Crisis ) के कारण संघ लोक सेवा आयोग ( UPSC ) की ओर से आयोजित सिविल सेवा परीक्षा में शामिल नहीं होने से अपना आखिरी मौका गंवा देने वाले अभ्यर्थियों को एक और अवसर देने के पक्ष में नहीं है। न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर के नेतृत्व वाली पीठ ने कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ( DOPT ) की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू के निवेदन का संज्ञान लिया कि सरकार कोविड-19 महामारी के कारण सिविल सेवा अभ्यर्थियों को एक और अवसर देने को तैयार नहीं है।
अतिरिक्त सॉलिसिटर ने हलफनामा दाखिल करने का समय मांगा
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल राजू ने पीठ से हलफनामा दाखिल करने का समय मांगा। उन्होंने अदालत के सामने कहा कि उन्हें इस संबंध में कल रात (गुरुवार) ही निर्देश मिला है और केंद्र इस मामले में अतिरिक्त मौका देने के लिए तैयार नहीं है। पीठ में न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी भी शामिल थे। पीठ ने सिविल सेवा की अभ्यर्थी रचना सिंह की याचिका को 25 जनवरी के लिए सूचीबद्ध किया है और साथ ही केंद्र से एक हलफनामा दाखिल करने को कहा है। इस मामले में पिछले सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया था कि सरकार यूपीएससी के उम्मीदवारों को एक अतिरिक्त प्रयास देने के मुद्दे पर विचार कर रही है, जो अपने आखिरी मौके से चूक गए हैं।
सिविल सेवा परीक्षा
बता दें कि सिविल सर्विसेज के कोविड-19 प्रभावित उम्मीदवारों को सरकार एक और मौका देने पर विचार कर रही थी। सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों को वर्ष 2021 की सिविल सेवा परीक्षा में अतिरिक्त मौका पाने की उम्मीद थी। पिछले साल 30 सितंबर को शीर्ष अदालत ने देश के कई हिस्सों में चल रही महामारी और बाढ़ का हवाला देते हुए चार अक्टूबर को होने वाली यूपीएससी सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा को स्थगित करने के निर्देश देने की याचिका खारिज कर दी थी।
Updated on:
22 Jan 2021 09:41 pm
Published on:
22 Jan 2021 09:27 pm
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