
दिल्ली में बंदरों को नियंत्रित करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च करेगी सरकार
नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली ( Delhi ) में बंदरों ( Monkey ) को लेकर सरकार ( Government ) बड़ा कदम उठाने जारही है। दरअसल राजधानी में बंदरों के आतंक पर काबू पाने के लिए सरकार की ओर से एक परियोजना शुरू की गई थी। इस परियोजना के तहत पर्यावरण मंत्रालय ( Envirnment Department ) की ओर से पांच करोड़ रुपए की राशि को भी मंजूरी दी गई थी। हालांकि देशभर में कोरोना वायरस ( coronavirus ) की चलते लागू किए गए लॉकडाउन ( Lockdown ) की वजह से इस परियोजना को शुरू ही नहीं किया जा सका। अब एक बार फिर इस पर काम शुरू किया जा रहा है।
दिल्ली बंदरों की ओर से हो रही परेशानियों को नियंत्रित करने के लिए सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है। एक कार्यक्रम के तहत बंदरों को अब राजधानी से दूर किया जाएगा। इसक कार्यक्रम के लिए बकायदा पांच करोड़ रुपए की राशि भी मंजूर की गई है। हालांकि लॉकडाउन के चलते ये परियोजन अटक गई थी। लेकिन अब एक बार फिर से शुरू किया जा रहा है।
इसके लिए दिल्ली वन विभाग ने अब मंत्रालय से कहा है कि वह चालू वित्त वर्ष के लिए स्वीकृत राशि को फिर से रीवैलिडेट करे ताकि भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) परियोजना को शुरू कर सके।
मुख्य वन्यजीव वार्डन प्रभात त्यागी उम्मीद जताई है कि मंत्रालय की ओर से उन्हें जल्त ही रीवैलिडेशन की अनुमति मिल जाएगी और ये काम जल्द से जल्द शुरू हो जाएगा। त्यागी के मुताबिक संस्थान को परियोजना शुरू होने से पहले दिल्ली में सेटअप स्थापित करने के लिए कुछ महीनों की जरूरत होगी।
950 लोगों को काटने के मामले हुए थे दर्ज
दरअशल पिछले कुछ वर्षों में राजधानी दिल्ली में बंदरों के काटने की घटनाएं काफी बढ़ गई थीं। वर्ष 2018 में ही बंदरों के कारटने की 950 मामले दर्ज किए गए थे।
यही नहीं बंदरों की वजह से नई दिल्ली नगरपालिका परिषद क्षेत्र में रहने वाले कई सांसदों और नौकरशाहों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
अब वैज्ञानिक पद्धति के जरिए होगा नियंत्रण
दसअसल अधिकारियों की मानें तो अब तक बंदरों को पकड़ कर उन्हें असोल भट्टी वन जीव अभ्यारण्य में छोड़ दिया जाता था। लेकिन ये नाकाफी है, अब वैज्ञानिक पद्धति के जरिए ही बंदरों पर नियंत्रण किया जा सकेगा।
इस तरह शुरू होगा काम
इस कार्यक्रम के तहत बंदरों को नियंत्रित करने के लिए पहले उनकी आबादी का आंकलन किया जाएगा। इसके साथही उनके व्यवहार आदि के पैटर्न को भी समझने की कोशिश की जाएगी। इतना नहीं उनमें रेडियो-कॉलर फिट किया जाएगा इससे उनके व्यवहार को समझने में आसानी होगी।
उनके हॉट स्पॉट की पहचान, नसबंदी के लिए वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल आदि प्रमुख रूप से शामिल रहेगा। इन सब कामों के लिए वन और नगरपालिका के कर्मियों को प्रशिक्षित भी किया जाएगा।
Published on:
17 Aug 2020 12:53 pm
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