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एक ऐसा गांव, जहां दिवाली के 3 दिन बाद खेली जाती है गोबर की होली !

गांव वालों का मानना है कि उनके पूर्वजों ने एक ‘लिंगम’ से रक्त की तलाश की थी, जिसे गाय के गोबर के ढेर के अंदर छुपा दिया गया था। इसलिए, वे इस त्योहार को मनाते हैं ।

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Vivhav Shukla

Nov 19, 2020

Gumtapuram Villagers celebrate unique cow dung splashing ritual

Gumtapuram Villagers celebrate unique cow dung splashing ritual

नई दिल्ली। तलावड़ी हिल्स के गुमतपुरम गांव में मंगलवार को एक अनोखा अनुष्ठान किया गया जिसमें सभी उम्र के पुरुषों ने एक दूसरे के शरीर पर गाय के गोबर लगाया। दरअसल, यहां के लोग हर साल दीपावली के बाद तीसरे दिन इस कार्यक्रम का आयोजन करते हैं।

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तीन शताब्दियों से मनाया जा रहा है ये त्योहार

गांव वालों का मानना है कि उनके पूर्वजों ने एक ‘लिंगम’ से रक्त की तलाश की थी, जिसे गाय के गोबर के ढेर के अंदर छुपा दिया गया था। इसलिए, वे इस त्योहार को मनाते हैं । इसके अलावा ग्रामीणों का यह भी मानना है कि जब उनकी भूमि में गोबर का छिड़काव किया जाता है तो जमीन की उत्पादकता में वृद्धि होती है। यहां ये त्योहार तीन शताब्दियों से मनाया जाता है।

पड़ोसी राज्यों से आते हैं लोग

तमिलनाडु - कर्नाटक सीमा पर स्थित इस गांव में हर साल पड़ोसी राज्यों से हजारों की संख्या में लोग आते हैं। लेकिन इस बार कोरोना महामारी की वजह से पुलिस और राजस्व अधिकारियों ने केवल 100 प्रतिभागियों को उत्सव में शामिल होने की अनुमति दी थी।

हर साल होता है आयोजन

गांव के रहने वाले एक शख्स ने बताया कि बीरेश्वरा स्वामी मंदिर के पीछे की ओर दो स्थानों पर गाँव और आसपास के क्षेत्रों से एकत्र किए गए गाय के गोबर को फेंक दिया जाता है। इसके बाद गांव के लोग मंदिर में विशेष पूजा करते हैं साथ ही वे मंदिर के तालाब में स्नान भी करते हैं। फिर सभी लोग उस स्थान की पूजा करते हैं जहां गोबर का ढेर लगा होता है।

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पूजा खत्म होते ही वहां मौजूद सभी लोग एक-दूसरे पर गोबर के गोले का छिड़काव करते हैं। एक घंटे के बाद, सभी प्रतिभागियों पास के टैंक में स्नान करते हैं और फिर से मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए जाते हैं। इसी के साथ ये उत्सव समाप्त हो जाता है।