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बर्फ से जिंदगी का खून जमा देने वाले खुनी नाले की कहानी, कई उतर चुके हैं मौत के घाट

खूनी नाले को इस नाम से इसलिए जाना जाता है क्योंकि सड़क के दुर्घटनाओं से यहां मरने वालों की संख्या खतरनाक है।

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नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर की बनिहाल सुरंग से गुजरने से पहले, एक जगह को खूनी नाला के नाम से जाना जाता है। यहां मानव जाति प्रकृति के शक्तिशाली ताकत से हर साल लड़ती है। मनुष्य शायद जीत भी सकता है, लेकिन प्रकृति हर बार उसे हरा देती है। खूनी नाले को इस नाम से इसलिए जाना जाता है क्योंकि सड़क के दुर्घटनाओं से यहां मरने वालों की संख्या खतरनाक है। इसे एक और नाम से जाना जाता है वो है "किलर रिव्लेट"

इन दुर्घटनाओं से बचने के लिए इंजीनियरिंग समाधान निकला गया यहां एक स्टील का जाल बनाया गया है जो गिरने वाले वाहनों और गिरने वाले पत्थरों से बचाता है। इस स्टील नेट को हर कुछ महीनों में बदलना ज़रूरी होता है। सर्दियों के दौरान, सड़क के इस खंड में हिमस्खलन अक्सर होता रहता है। इस क्षेत्र में सड़क से, आप पहाड़ों को देख सकते हैं जो सिर्फ पिघलते हुए लगते हैं, और तेजी से नष्ट हो रहे हैं, मानो प्रकृति द्वारा पहाड़ों को रेत और पत्थर में बदल दिया जाता है, और सब नदियों में मिल जाते हैं। हर साल जनवरी-फरवरी में कम से कम 10 लोग ऐसी दुर्घटना में अपनी जान गंवा देते हैं।

इससे कई किवदंतियां जुड़ी हैं जिसमें कई लोग कहते हैं की यहां एक गर्भवती महिला की मौत हुई थी उसने यहां आकर आत्महत्या कर ली थी और अब उसकी और उसके नवजात बच्चे की आत्मा यहां भटकती है जो लोगों को गलत रास्ता और वही आत्मा हर साल लोगों की जान लेती है, कोई कहता है यहं पर कई लोगों की आत्मा भटकती है।

इन सारी किवदंतियों को हटाकर देख जाए तो यहां होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने का बस एक ही तरीका है कि यहां एक 'सुरंग' बनाई जाए। इतने साल से यहां एक नया मार्ग अब निर्माणाधीन है और इसका कार्य आगे नहीं बढ़ पा रहा। हिमस्खलन से यहां कई जाने जा चुकी हैं। जिस सुरंग की हम बात कर रहे हैं उसके बनने के बाद ये सारी दुर्घटनाएं तो दूर होंगी ही साथ ही साथ जम्मू और कश्मीर के क्षेत्रों को करीब लाएगी, बल्कि देश के बाकी हिस्सों से घाटी के अलगाव को समाप्त भी करेगी।

वहां की भाषा में ख़ुरी नाला, (खूनी नाला) को लेकर सरकार का कहना है की वो यहां तक कि रेलवे 9 0 किमी लंबी सुरंगों के नेटवर्क की योजना में है, इसलिए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने वर्तमान राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच 44) के खंड को जम्मू से श्रीनगर तक चार लेनों में अपग्रेड करने के लिए एक परियोजना शुरू की है। इस परियोजना में दो प्रमुख सुरंग शामिल हैं। जम्मू और श्रीनगर के बीच 288 किलोमीटर की दूरी कम होकर 238 किमी हो जाएगी, लेकिन अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि 10 घंटे की यात्रा को केवल पांच घंटे में कवर किया जा पाएगा।

आपको बता दें बीते दिन जम्मू-कश्मीर में कुपवाड़ा-तंगधार रोड पर एक यात्री वाहन भारी हिमस्खलन की चपेट में आ गया जिससे कम से कम सात लोग फंस गए। कुपवाड़ा-तंगधार रोड पर खूनी नाला इलाके में एक कैब शुक्रवार दोपहर हिमस्खलन की चपेट में आ गई जिसके बाद दो लोगों को बचाया लिया गया। दो लोगों को हिमस्खलन के स्थल से बचाया गया है जबकि कैब में सवार कम से कम सात अन्य लोग अब भी लापता


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