
दिल्ली मेट्रो कर्मचारियों की प्रस्तावित हड़ताल पर हाईकोर्ट की रोक बरकरार, 4 सितंबर को होगी अगली सुनवाई
नई दिल्ली। अपनी मांगों को लेकर हड़ताल करने की चेतावनी दे रहे दिल्ली मेट्रो के कर्मचारियों के लिए दिल्ली हाईकोर्ट से एक बुरी खबर आई है। दरअसल लाखों यात्रियों को बड़ी राहत देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली मेट्रो कर्मचारियों के एक वर्ग की वेतन वृद्धि और पदोन्नति से संबंधित मांगों पर प्रस्ताविक हड़ताल को रोकने के अपने अंतरिम आदेश को बरकरार रखा है। दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) की याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति प्रतिभा रानी ने स्टाफ काउंसिल के सदस्यों को आगे के आदेश तक हड़ताल पर जाने से रोक दिया और उन्हें जवाब देने के लिए कहा। बता दें कि इस मामले की अगली सुनवाई चार सितंबर को होगी।
29 जून को कोर्ट ने हड़ताल पर लगाई थी रोक
आपको बता दें कि बीते 29 जून को दिल्ली हाईकोर्ट ने मेट्रो कर्मचारियों के एक वर्ग को हड़ताल पर जाने से रोक दिया था। डीएमआरसी के कुछ कर्मचारियों ने अपनी वेतन वृद्धि और पदोन्नति को लेकर 30 जून से हड़ताल करने की चेतावनी दी थी। करीब नौ हजार कर्मचारियों ने इस मामले को लेकर हड़ताल करने की चेतावनी दी थी। लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बाद फिलहाल हड़ताल टल गया है।
30 जून से बेमियादी हड़ताल करने पर अड़े थे 9 हजार कर्मचारी
गौरतलब है कि दिल्ली मेट्रो के 9 हजार कर्मचारी 30 जून से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की जिद पर अड़े हुए थे। कर्मचारियों की मांगों को लेकर कर्मचारी यूनियन की मेट्रो प्रशासन से कई मीटिंग भी हुई, लेकिन दोनों पक्षो में समझौता नहीं हो पाया। हड़ताल का खतरा सिर पर मंडराता देख शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट में न्यायमूर्ति विपिन सांघी की पीठ में याचिका दायर कर सुनवाई की अपील की थी। आम नागरिकों से मामला जुड़ा होने के कारण पीठ ने भी याचिका को सुनवाई के लिए तुरंत स्वीकार कर लिया था।
तो जनता पर पड़ता बुरा असर
सुनवाई के दौरान अपने पक्ष रखते हुए दिल्ली मेट्रो की तरफ से अधिवक्ता कुणाल शर्मा और पुनीत गर्ग ने दलील दी कि कर्मचारियों की मांगों से जुड़ा मामला बातचीत से सुलझने के दौर में है। इसे आपसी बातचीत से सुलझाया भी जा सकता है। लेकिन कर्मचारी यूनियन की तरफ से जिस तरीके से लगातार हड़ताल की धमकी दी जा रही है। उससे दिल्ली की जनता पर बहुत बुरा असर होगा, क्योंकि रोजाना करीब 25 लाख यात्री दिल्ली मेट्रो का प्रयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि मेट्रो अब दिल्ली की लाइफ लाइन बन चुकी है। हड़ताल होने पर काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने कोर्ट में बताया कि कर्मचारियों की मांगों से जुड़ा मामला लेबर कमिश्नर के पास भी लंबित है। डीएमआरसी ने दिल्ली हाई कोर्ट में दलील दी कि कर्मचारियों से जुड़ी कुछ मांगों को मान लिया गया था। इस पर बाकायदा 23 जुलाई तक फैसला किया जाना था। लेकिन इससे पहले बी कर्मचारियों ने नई मांगें रख दीं। लिहाजा, मामले की गंभीरता और लाखों लोगों को होने वाली असुविधा को देखते हुए हाई कोर्ट ने दिल्ली मेट्रो कर्मचारियों की हड़ताल पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी और यूनियन को 6 जुलाई तक जवाब देने के आदेश दिए।
इसलिए हड़ताल पर अड़े हैं कर्मचारी
दरअसल, डीएमआरसी कर्मचारी यूनियन के महासचिव महावीर प्रसाद का आरोप है कि पिछले साल डीएमआरसी ने जिन मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया था। वे अभी तक पूरी नहीं की गईं। ग्रेड वेतनमान भी 13,500-25,520 रुपये है, जिसे वेतनमान 14,000-26,950 रुपये में विलय किया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जबकि, कई कर्मचारी इससे भी उच्च वेतनमान की मांग कर रहे हैं।मेट्रों में काम करने वाले कर्मचारियों को 5 साल पर पदोन्नति देने का प्रावधान है, लेकिन कर्मचारी 10 साल से एक ही पद पर काम कर रहे हैं। अपनी इन्हीं मांगो को लेकर यूनियन के पदाधिकारी डीएमआरसी से यूनियन को मान्यता देने की भी मांग कर रहे हैं, जबकि डीएमआरसी इसके लिए तैयार नहीं है। गैर कार्यपालक कर्मचारियों की श्रेणी में मेट्रो ट्रेन चालक, स्टेशन कंट्रोलर, तकनीकी कर्मचारी व रखरखाव से संबंधित कर्मचारी शामिल हैं। वे अधिकारियों को मिलने वाली कई तरह की सुविधाओं की मांग कर रहे हैं। इसलिए 19 जून से वे कई स्टेशनों पर काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

Published on:
06 Jul 2018 04:14 pm
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