
बांबे हाईकोर्ट में दायर एक जनहित याचिका पर कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से जवाब तलब किया है
जब भी आप सिनेमा देखने मल्टीप्लेक्स जाते हैं, बाहर खड़ा गार्ड इस बात की तलाशी भी लेता है कि आपके पास खाने-पीने का कोई सामान तो नहीं मौजूद। अगर गलती से एक बिस्कुट का पॉकेट भी निकल गया तो उसे वह फौरन अपने पास जमा कर लेते हैं। इसका मकसद यह होता है कि आप मल्टीप्लेक्स के अंदर बिकने वाले खाने-पीने के समान को ही खरीदें। अब इसी मुद्दे पर महाराष्ट्र सरकार से बांबे हाईकोर्ट ने जवाब तलब किया है। दरअसल एक याचिका में सिनेमाघरों में खाने-पीने की सामग्री पर लगने वाली रोक को चुनौती दी गई थी।
जैनेंद्र बक्सी ने दायर की है याचिका
इस याचिका को मुंबई के रहने वाले जैनेंद्र बक्सी ने दायर करवाई है। जैनेंद्र के वकील का नाम आदित्य प्रताप हैं। जैनेंद्र यह जानना चाहते थे कि सिनेमा घरों के अंदर अपना पानी या खाद्य सामग्री ले जाने से रोक लगाने के बारे में क्या कोई कानून में कोई प्रावधान है। आदित्य प्रताप ने कोर्ट में कहा कि महाराष्ट्र सिनेमा (नियमन) कानून के तहत किसी भी मल्टीप्लेक्स, थिएटर और ऑडिटोरियम के अंदर खाद्य पदार्थ बेचना निषेध है। सारी बातों को सुनने के बाद अब बांबे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि इस सवाल का जवाब जल्द से जल्द दें कि क्यों फिल्म देखने आने वाले दर्शकों को सिनेमाघरों के अंदर बिकने वाले खाने-पीने की साम्रगी को खरीदने पर मजूबर किया जाता है? इस नियम की आवश्यकता ही क्यों है? जस्टिस आर एम बोर्डे और राजेश केतकर की एक पीठ ने महाराष्ट्र सरकार से यह भी कहा कि वह तीन हफ्ते के अंदर बताए कि राज्य के अधिकांश सिनेमाघरों में लगाई गई इस तरह की पाबंदी के पीछे उसका क्या तर्क है। किस कानून के तहत इस तरह का नियम बनाया गया है। कोर्ट के मुताबिक मल्टीप्लेक्स के सुरक्षा गार्ड के पास चाकू, हथियार जैसी घातक चीजों की जांच करने के लिए मेटल डिटेक्टर है, जिससे वे दर्शकों की तलाशी ले लेते हैं। ऐसे में पर्स व बैग के अंदर से खाद्य पदार्थ निकालकर जमा करने का क्या मकसद?
Published on:
05 Jan 2018 03:38 pm
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