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कोरोना से बचाने में कोविशील्ड और कोवैक्सीन कितनी असरदार, डेटा इकट्ठा कर रही सरकार

केंद्र सरकार एक कोविड वैक्सीन ट्रैकर प्लेटफॉर्म से डेटा एकत्र करने के बाद कोविशील्ड खुराक के बीच के अंतराल को बढ़ाने के अपने निर्णय के प्रभाव की समीक्षा करने की योजना बना रही है।

covishield
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नई दिल्ली। महामारी कोरोना वायरस पर काबू पाने के लिए देशभर में टीकारण अभियान चलाया जा रहा है। कोरोना की दूसरी लहर के बीच केंद्र सरकार प्रस्तावित कोविड वैक्सीन ट्रैकर (Covid Vaccine Tracker) प्लेटफॉर्म से डेटा इकट्ठा करने के मंजूरी दे सकती है। कोविशील्ड (Covishield) खुराक के बीच के अंतराल को बढ़ाने के अपने फैसले की समीक्षा कर सकती है। एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार को यह तय करने में भी मदद कर सकता है कि कोविशील्ड के लिए सिंगल खुराक के नियम को मंजूरी दी जाए या नहीं। बताया जा रहा है कि नए प्लेटफॉर्म के डेटा का अगस्त के करीब एनालिसिस किया जा सकता है।

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अब तक 20.89 करोड़ वैक्सीन की दी गई खुराक
देश में 16 जनवरी से टीकाकरण अभियान शुरू किया गया। अब तक देश में 20.89 करोड़ वैक्सीन की खुराक दी जा चुकी है। इनमें से करीब 90 प्रतिशत कोविशील्ड है। भारत अपने टीकाकरण अभियान में भारत बायोटेक के कोवैक्सिन का भी उपयोग कर रहा है। इसके अलावा रूस के स्पुतनिक वी भी लोगों को लगाई गई।

प्लेटफॉर्म पर तीन प्रकार का डेटा होगा स्थापित
नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन (एनटीएजीआई) के तहत कोविड वर्किंग ग्रुप के अध्यक्ष डॉ एन के अरोड़ा ने एक इंटरव्यू में बताया कि एक प्लेटफॉर्म बनाया जा रहा है। इसके माध्यम से क्लीनिकल डेटा, वैक्सीन डेटा और समग्र रोग डेटा के तीन सेट का सामंजस्य स्थापित किया जाएगा। इसके बाद वैक्सीन वैक्सीन का असर, लोगों में हुए दोबारा संक्रमण और ट्रेंड्स देखेंगे। इस बीच लोगों में वैक्सीन की कवरेज भी बढ़ेगी।

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सिंगल डोज असर करता है या नहीं
डॉ. एन के अरोड़ा ने आगे बताया कि इन डेटा की मदद से यह अंदाजा लगाया जाएगा कि टीकाकरण के बाद लोगों में कितने समय तक बीमारी से बचाया जा सकता है। मार्च और अप्रैल में कोविड के टीकों के असर का अध्ययन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इसका यह उद्देश्य है कि क्या सिंगल डोज असरदार है या नहीं। दूसरे शब्दों में कहे तो सिंगल वैक्सीन डोज कितना काम करता है।

जल्द लॉन्च होगा नया प्लेटफॉर्म
जॉनसन एंड जॉनसन की सिंगल डोज वैक्सीन भी वायरल वेक्टर प्लेटफॉर्म पर आधारित है। जबकि दो-खुराक वाली स्पुतनिक वैक्सीन भी इसी तकनीक के आधार पर सिंगल डोज के रूप में दी जा रही है। प्रभावकारिता रिपोर्ट के आधार पर दो-खुराक वाले टीके के रूप में कैलिब्रेट किए जाने से पहले, एस्ट्राजेनेका वैक्सीन सिंगल खुराक निर्माण के रूप में शुरू हुई थी। हालांकि अभी तक इस प्लेटफॉर्म को लॉन्च करने की तारीख के बारे में कोई जानकारी सामने नहीं आई है। माना जा रहा है कि जल्द ही इसे तैयार किया जाएगा। इसके बाद देशभर से डेटा एकत्र कर उसके उपयोग की समीक्षा की जाएगी।