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कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लेने वाले सिर्फ 10 फीसदी को ही जाना पड़ा अस्पताल, ICMR की स्टडी में दावा

ICMR की स्टडी में खुलासा, वैक्सीनेशन ही कोरोना से बचाव का सबसे बड़ा हथियार, दोनों डोज लेने वालों को अस्पताल में भी नहीं पड़ी ऑक्सीजन और आईसीयू की जरूरत

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Dheeraj Sharma

Jul 17, 2021

ICMR Study says Vaccine is Successful in preventing of coronavirus Only 10 percent cases hospitalised

ICMR Study on Coronavirus Vaccination

नई दिल्ली। कोरोना वायरस की तीसरी लहर ( Coronavirus Third Wave ) से निपटने के लिए सरकार लगातार कोशिश में जुटी हुई है। केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक हर स्तर पर जरूरी कदम भी उठाए जा रहे हैं। इस बीच आईसीएमआर ( ICMR ) ने कहा है कि कोरोना से बचाव में सबसे बड़ा हथियार वैक्सीन ( Corona Vaccine )ही है।

वैक्सीन कितनी कारगर है इसको लेकर दुनिया भर में अलग-अलग रिसर्च किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने भी एक स्टडी की है।

इस अध्ययन के मुताबिक वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बावजूद कोरोना से संक्रमित होने वाले लोगों में से सिर्फ 10 फीसदी को ही अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत आई। यानी ये साफ है कि कोरोना से अलग-अलग वरिएंट के बावजूद वैक्सीनेशन ही बचाव का बड़ा जरिया है।

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आईसीएमआर की स्टडी के मुताबिक जिन लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज लगा दी गईं, उसके बाद भी जिन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा उन्हें ना तो ऑक्सिजन की जरूरत पड़ी और ना ही आईसीयू की। यानी अस्पताल में तो भर्ती किया गया लेकिन कोरोना के हल्के असर की वजह से ज्यादा परेशानी नहीं हुई।

वैक्सीन की दो डोज़ लेने के बाद जिन्हें कोरोना संक्रमण होता है उन्हें विज्ञान की भाषा में 'ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन' कहा जाता है।

कारगर है कोरोना की वैक्सीन
ICMR की इस स्टडी से कहा जा सकता है कि कोरोना की वैक्सीन बेहद असरदार है और किसी की जान बचाने के लिए बेहद जरूरी है।

आईसीएमआर के इपिडिमिलॉजी और संचारी रोग विभाग के प्रमुख डॉक्टर समीरन पांडा ने एक अंग्रेजी अखबार को बताया कि, 'ये बेहद महत्वपूर्ण है, और रोग और मृत्यु दर की गंभीरता को कम करने में टीकों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है।'

क्या कहता है आईसीएमआर का शोध
आईसीएमआर का ये शोध देशभर में किया गया। इस दौरान वैक्सीन की दोनों डोज लेने वाले 677 लोगों को ट्रैक किया गया।

ये सभी लोग 17 अलग-अलग राज्यों से थे। इसमें सिर्फ 67 (9.8%) लोगों को हॉस्पिटल जाने की जरूरत पड़ी, जबकि सिर्फ 3 लोगों की इसमें से मौत हुई।

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डेल्टा वेरिएंट के ज्यादा मरीज
स्टडी में पाया गया है कि ज्यादातर ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन कोरोना के डेल्टा वेरिएंट के थे। वहीं डॉक्टर समीरन पांडा के मुताबिक ये डेटा दिखाते हैं कि वैक्सीन लेने से हॉस्पिटल और मौत की दर में कमी आ रही है।

आकंड़ों पर एक नजर
- 85 लोगों को वैक्सीन की पहली डोज लेने के बाद कोरोना हुआ
- 592 लोगों को दो डोज लेने के बाद हुए संक्रमित
- 443 केस डेल्टा वेरिएंट के थे
- 69 फीसदी कोरोना से संक्रमित लोगों को बुखार हुआ
- 56 प्रतिशत लोगों को बदन दर्द के साथ सरदर्द की शिकायत
- 45 फीसदी मरीजों को खांसी की शिकायत हुई
- 37 प्रतिशत लोगों को गले में दर्द की परेशानी हुई