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IMA ने बाबा रामदेव को खुली बहस की दी चुनौती, कहा- बताएं किस अस्पताल में दी जा रही पतंजलि की दवा

IMA ने बाबा रामदेव को मीडिया की मौजूदगी में एक सार्वजनिक मंज पर खुली बहस के लिए चुनौती दी। आईएमए उत्तराखंड के अध्यक्ष डॉ अजय खन्ना ने रामदेव को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने उनके बयान को उतावला, गैर जिम्मेदार और स्वार्थी बताया है।

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IMA challenged Baba Ramdev for an open debate, said- Tell which hospital is Patanjali's medicine given

देहरादून। एलोपैथी और इस चिकित्सा पद्धति से जुड़े डॉक्टरों को लेकर योग गुरु बाबा रामदेव द्वारा दिए गए बयान से उपजा विवाद अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने जहां बाबा रामदेव के खिलाफ मानहानि का नोटिस भेजकर 1000 करोड़ रुपये की मांग की है, वहीं दूसरी तरफ पीएम मोदी को चिट्ठी लिकर राजद्रोह के तहत कार्रवाई करने की मांग की है।

अब इस सिलसिला को आगे बढ़ाते हुए IMA ने बाबा रामदेव को खुली बहस करने की चुनौती दी है। IMA ने शुक्रवार को उन्हें मीडिया की मौजूदगी में एक सार्वजनिक मंज पर खुली बहस के लिए चुनौती दी। आईएमए उत्तराखंड के अध्यक्ष डॉ अजय खन्ना ने योग गुरु रामदेव को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने उनके बयान को उतावला, गैर जिम्मेदार और स्वार्थी बताया है।

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डॉ. खन्ना ने अपने पत्र में लिखा "आपको सूचित किया जाता है कि IMA उत्तराखंड अपने राज्य कार्यालय के माध्यम से आपसे राज्य के डॉक्टरों की एक टीम के साथ आमने-सामने चर्चा करने के लिए पतंजलि योगपीठ से योग्य और विधिवत पंजीकृत आयुर्वेदाचार्यों की एक टीम का गठन करने का अनुरोध करता है, जो पहले से ही है। इस खुली बहस की हर एक चर्चा की बारीकी से निगरानी की जाएगी और इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंट मीडिया द्वारा रिकॉर्ड किया जाएगा जिसे इस पैनल चर्चा में भी आमंत्रित किया जाएगा।

IMA ने कहा- दिन व तारीख आप तय कर लें

पत्र में आगे कहा गया है कि रामदेव और उनके सहयोगी बालकृष्ण भी आयुर्वेदाचार्यों की टीम में शामिल हो सकते हैं, लेकिन केवल दर्शक के रूप में क्योंकि उन्होंने आईएमए के राज्य कार्यालय को योग्यता नहीं भेजी है। साथ में यह भी कहा गया है कि "उपरोक्त प्रस्तावित स्वस्थ चर्चा की तारीख और समय तय करने की जिम्मेदारी आप पर है, हालांकि, स्थल का फैसला हमारे द्वारा किया जाएगा।"

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डॉ. खन्ना ने कहा है कि "उपरोक्त प्रस्ताव आपके विचार और कार्यान्वयन के लिए है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आपके द्वारा पैदा किया गया गतिरोध और भ्रम समाप्त हो जाए।" पत्र में आगे कहा गया है कि यह चर्चा एलोपैथ और आयुर्वेद के बीच सामंजस्य को फिर से बहाल करने के लिए सुनिश्चित करेगी जैसा कि पहले था।

IMA ने मांगा अस्पतालों को ब्यौरा

बता दें कि एक अन्य पत्र में, आईएमए ने पतंजलि से उन अस्पतालों के ब्योरे की भी मांग की जहां उन्होंने दावा किया है कि पतंजलि दवाओं का इस्तेमाल किया गया है। चूंकि बाबा रामदेव ने एक टीवी डिबेट में दावा किया था कि एलोपैथिक अस्पताल भी कोरोना इलाज के लिए पतंजलि की दवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं। अब उस पर आईएमए उत्तराखंड ने बाबा रामदेव से पूछा है कि उस अस्पताल का नाम बताएं, जहां कोरोना के इलाज के नाम पर पतंजलि की दवाएं दी गईं।

इससे पहले बुधवार को IMA ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बाबा रामदेव के खिलाफ देशद्रोह और अन्य आरोपों के तहत उचित कार्रवाई करने की अपील की गई थी। पत्र में आरोप लगाया गया है कि बाबा रामदेव ने COVID टीकाकरण पर एक गलत और भ्रामक सूचना फैला रहे हैं।

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सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में बाबा रामदेव ये कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि कोरोना टीके की खुराक लेने के बावजूद 1000 डॉक्टरों की मौत हो गई है और एलोपैथिक दवा के कारण हजारों लोगों की मौत हुई है। उन्होंने यह भी दावा किया है कि 'एलोपैथी एक स्टूपीड और दिवालिया साइंस है। कोविड के इलाज के लिए जिस एलोपैथ दवा का इस्तेमाल किया जा रहा है, उसे खाने से हजारों लोगों की मौत हुई है।

IMA ने पिछले शनिवार को बाबा रामदेव के इन बयानों को लेकर कानूनी नोटिस भेजा था। बाबा रामदेव के खिलाफ 1000 करोड़ रुपये के मानहानि का नोटिस भेजने के साथ ही 15 दिनों में जवाब देने का कहा है। इससे पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बाबा रामदेव को पत्र लिखा था, जिसके बाद बाबा रामदेव ने अपने बयान को वापस ले लिया था। हालांकि, हरिद्वार स्थित पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट ने एक बयान में कहा कि रामदेव सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में एक व्हाट्सएप फॉरवर्डेड संदेश को पढ़ रहे थे, न कि उनका अपना बयान था।