11 से 13 अक्टूबर तक चलने वाली इस प्रदर्शनी में चीन, जापान, अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, दक्षिण कोरिया सहित 20 देशों की कंपनियां भारत में बाजार तलाश रही हैं। भारतीय कंपनियों के साथ-साथ विदेशी कंपनियां भी उपकरणों के जरिए यह बताने का प्रयास कर रही हैं कि किस प्रकार से उनका उत्पाद अलग है। भारतीय रेलवे सुरक्षा, संरक्षा, गति के साथ-साथ कोच के आधुनिकीकरण पर भी जोर दे रहा है। ऐसे में कंपनियां भी प्रदर्शनी के जरिए यह बता रही हैं कि उनका उत्पाद रेलवे के आधुनिकीकरण में कैसे सहायक होगा। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भी कंपनियों से आह्वान किया है कि आधुनिक और श्रेष्ठ तकनीकी के साथ आगे आएं भारतीय रेल को इसकी जरूरत है। गोयल ने यह भी कहा कि रेलवे को सामान आपूर्ति करने वाली कंपनियों को भुगतान 30 दिनों के अंदर हो जाएगा।
प्रदर्शनी का सहयोगी देश जापान है और अन्य देशों के मुकाबले यहां की ज्यादा कंपनियों ने हिस्सा लिया है। जापानी कंपनियां जहां आधुनिक उपकरण के बारे में जानकारी दे रही हैं वहीं उनके उत्पाद भी अन्य देशों के मुकाबले सस्ते हैं।
अंतरराष्ट्रीय रेलवे उपकरण प्रदर्शनी का पहली बार 1990 में आयोजन हुआ था। जिसमें देश-विदेश की 55 कंपनियों ने हिस्सा लिया था। उसके बाद हर प्रदर्शनी में कंपनियों की भागीदारी बढ़ती गई और इस बार 500 के ऊपर पहुंच गई।