
नई दिल्ली। दुनियाभर में आज लेबर डे यानी श्रमिक दिवस मनाया जा रहा है। यह वही दिन है जब मजदूरों के काम के लिए घंटे निर्धारित किए गए थे। एक ओर जहां इस दिन देश की कई कंपनियों में छुट्टी होती है। वहीं दुनिया के कई 80 देश इस दिन राष्ट्रीय अवकाश रखते हैं।
1 मई 1886 को हुई थी शुरुआत
अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस की शुरूआत 1 मई 1886 को हुई थी। इस दिन अमरीका की मजदूर यूनियनों नें काम का समय 8 घंटे से अधिक होने के विरोध में हड़ताल की थी। तभी हड़ताल दौरान ही शिकागो की हे मार्केट में बम धमाका हुआ, जिसके बाद पुलिस ने फायरिंग शुरू कर दी। इस फायरिंग में 7 मजदूरों की मौत हो गई। हालांकि बम फेंका किसने था, इस बात की कोई जानकारी सामने नहीं आई। इसके बाद मजदूर यूनियनें भड़क गई, जिनके दबाव में अमरीका में 8 घंटे काम करने का समय निश्चित कर दिया गया। मौजूदा समय भारत और अन्य मुल्कों में मज़दूरों के 8 घंटे काम करने से संबंधित कनून लागू है।
इन देशों में बेहतर है श्रमिकों की स्थिति
इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि श्रमिकों के अधिकारों के मामले में नॉर्वे और डेनमार्क विश्व रैकिंग में ऊपर स्थान रखता है। इसके साथ ही इन देशों में श्रमिकों का समर्थन करने वाले कानूनों को भी लागू किया गया है। वहीं, श्रमिक अधिकार को लेकर कतर रैकिंग में काफी निचले स्थान पर आता है। वहीं अमरीका भी श्रमिक अधिकारों के मामले में काफी पिछड़ा हुआ है। यही कारण है कि इस रैकिंग में अमरीका को निचले स्थान पर रहता है। कुछ देशों में मजदूर दिवस के दिन राष्ट्रीय अवकाश की भी व्यवस्था है। जबकि अमरीका, कनाड़ा समेत कई देश सितंबर के पहले सोमवार को मजदूर दिवस के रूप में मनाते हैं।
इन देशों में सबसे खराब स्थिति
इंटरनेशनल ट्रेड यूनियन कॉन्फेडरेशन की रिपोर्ट 2017 में बांग्लादेश, कोलंबिया, मिस्र, ग्वाटेमाला, कज़ाखस्तान, फिलीपींस, कतर, दक्षिण कोरिया, तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात के रूप में श्रमिकों के अधिकारों के लिए दस सबसे खराब देशों में है। वहीं, फिलीपींस, दक्षिण कोरिया और कजाखस्तान इस साल पहली बार दस सबसे खराब रैंकिंग में शामिल हो गए हैंं।
Published on:
01 May 2018 12:22 pm
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