
ISRO मानव मिशन गगनयान
नई दिल्ली। चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग तारीख की घोषणा के बाद अंतरिक्ष से जुड़ी एक और अच्छी खबर आई है। जब 2022 में भारत अपनी आजादी की 75वीं सालगिरह मना रहा होगा, तब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान ( ISRO ) अंतरिक्ष में एक कीर्तिमान रचेगा। 2022 में गगनयान के जरिए भारत से अंतरिक्ष में 2-3 यात्री भेजे जाएंगे। इसके लिए एजेंसी और सरकार ने लगभग अपनी तैयारी पूरी कर रही है। गुरुवार को केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि मानव मिशन गगनयान ( Gaganyaan ) के लिए स्पेशल सेल का गठन किया गया है। जिसका नाम है गगनयान राष्ट्रीय सलाहकार परिषद। ये इसरो के मानव मिशन को अंतरिक्ष में भेजने के लिए समर्पित होगा। वहीं इसरो प्रमुख ने बताया कि अब भारत खुद का स्पेस स्टेशन बनाने की तैयारी में है।
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2022 में पूरा होगा स्वदेशी मानव मिशन
जितेंद्र सिंह ने बताया कि गगनयान मिशन के लिए बनी स्पेशल सेल इस मिशन की योजना और तैयारियों की मॉनिटरिंग करेगी। भारत के इस पहले स्वदेशी मानव मिशन की लागत करीब 10 हजार करोड़ रुपए है। गगनयान के जरिए 2022 में अंतरिक्ष में 2-3 यात्री भेजे जाएंगे।
भारत बनाए अपना स्पेस स्टेशन: सिवन
भारत अब खुद अपना स्पेस स्टेशन (Space Station) बनाएगा। प्रमुख डॉक्टर के. सिवन ने एक बड़ा ऐलान भी किया है। उन्होंने कहा कि भारत अपना स्पेस स्टेशन लॉन्च करने की योजना बना रहा है।
15 जुलाई को लॉन्च किया जाएगा चंद्रयान-2
सिवन ने बताया कि चंद्रयान-2 ( chandrayaan 2 ) 15 जुलाई को श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जाएगा। तड़के 2 बजकर 51 मिनट पर 3,890 किलोग्राम वजनी मिनट चंद्रयान-2 एक भारी रॉकेट के जरिए अपने सफर को रवाना होगा। इस यान में तीन कंपोनेंट होंगे- ओर्बिटर, लैंडर और रोवर। यान 6 या 7 सितंबर को चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव के पास लैंड करेगा।
चंद्रयान-2 की लागत 978 करोड़
चंद्रयान-2 मिशन की लागत 978 करोड़ रुपए है। इसमें 375 करोड़ रुपए की लागत घरेलू स्तर पर निर्मित एक क्रायोजेनिक इंजन वाला भारी रॉकेट उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी-मार्क3) पर आएगी। बुधवार को पहली बार इसरो ने देश के चर्चित और बहुप्रतीक्षित स्पेस मिशन चंद्रयान-2 लूनरक्राफ्ट की तस्वीर सबके सामने रखी है।
चांद पर प्रयोग करने वाला चौथा देश होगा भारत
चंद्रयान-2 की सफलता के साथ ही भारत चौथा राष्ट्र बन जाएगा, जो चंद्रमा पर पहुंच कर उसकी कक्षा में, उसकी सतह पर, उसके चारों ओर के वातावरण और उसके नीचे प्रयोग किया हो। इससे पहले। रूस, अमरीका और चीन ऐसा कर चुके हैं।
Updated on:
13 Jun 2019 05:17 pm
Published on:
13 Jun 2019 05:01 pm
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