6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

भास्कर समूह की 100 से ज्यादा कंपनियां, पनामा पेपर्स में भी नाम

Dainik Baskar Raid: दैनिक भास्कर समूह के देशभर में दर्जनों ठिकानों पर गुरुवार को आयकर विभाग ने छापेमारी की। आरोप है कि इसकी वजह डीबी कॉर्प समूह द्वारा शेल कंपनियों के नाम पर फर्जीवाड़ा करके कर चोरी की गई और कंपनी से जुड़े लोगों को फायदा पहुंचाया गया।

3 min read
Google source verification
Income Tax raid at Dainik Bhaskar office

Income Tax raid at Dainik Bhaskar office

नई दिल्ली।

भास्कर समूह पर फर्जी खर्च और शेल कंपनियों का उपयोग कर भारी कर चोरी का आरोप है। इसी कारण समूह के कार्यालयों में आयकर अधिनियम की धारा 132 के तहत तलाशी ली जा रही है। सूत्रों ने बताया कि भास्कर समूह विभिन्न क्षेत्रों में शामिल है, जिनमें मीडिया के साथ-साथ बिजली, कपड़ा और रियल एस्टेट प्रमुख हैं। इनका सालाना टर्नओवर 6000 करोड़ रुपये से अधिक है। भास्कर समूह में होल्डिंग और सहायक कंपनियों की कुल संख्या 100 से अधिक है।

ये भी पढ़ेंः दिल्ली-मुंबई की टीमों ने भास्कर समूह के 32 ठिकानों पर सुबह 5 बजे एक साथ दी दबिश

भास्कर समूह की प्रमुख कंपनी डीबी कॉर्प लिमिटेड है, जो दैनिक भास्कर नाम से समाचार पत्र प्रकाशित करती है। समूह द्वारा कोयला आधारित बिजली उत्पादन व्यवसाय मेसर्स डीबी पावर लिमिटेड के नाम से किया जाता है। भास्कर समूह मूलतः तीन भाइयों सुधीर अग्रवाल, गिरीश अग्रवाल और पवन अग्रवाल द्वारा संचालित किया जाता है।

सूत्रों के अनुसार भास्कर समूह ने कर चोरी के अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अपने कर्मचारियों को, शेयरधारकों और निदेशकों के रूप में दिखाकर कई फर्जी कंपनियां बनाई हैं। समूह द्वारा मॉरीशस स्थित विभिन्न संस्थाओं कंपनियों के माध्यम से शेयर प्रीमियम और विदेशी निवेश के रूप में निकाले गए धन को विभिन्न व्यक्तिगत और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में निवेश किया जाता है।

ये भी पढ़ेंः भास्कर समूह के कई शहरों में फैले दर्जनों प्रतिष्ठानों पर इनकम टैक्स का छापा

भास्कर समूह और अग्रवाल परिवार के अनेक सदस्यों के नाम पनामा लीक मामले में भी सामने आए हैं। केंद्रीय जांच एजेंसियों ने विस्तृत विभागीय डेटाबेस, बैंकिंग पूछताछ और अन्य विवेकपूर्ण पूछताछ का विश्लेषण करने के बाद तलाशी का निर्णय लिया है।

विदेशी निवेश पर नजर

आयकर विभाग को जांच में अबतक जो कागजात मिले हैं, उसमें ग्रुप का विदेशी निवेश भी रडार पर है। 2010 में सूचीबद्ध होने बाद डीबी कॉर्प में भारी विदेशी निवेश आया था, यह सिलसिला 2015 तक चला, जिसके बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने डीबी कॉर्प पर बिना इजाजत के विदेशी निवेश लेने पर रोक लगा दी थी। उस दौरान सिंगापुर सरकार और वहां की कंपनी अमांसा कैपिटल ने एक साथ लाखों शेयर डीबी कॉर्प के खरीदे थे।

जरूर पढ़ेंः भास्कर समूह ने डीबी मॉल के लिए 1.30 एकड़ सरकारी जमीन पर कर लिया था कब्जा

लिया जा सकता है ED का सहयोग

आयकर विभाग की कार्रवाई के बाद समूह के दस्तावेजों में मनी लॉन्ड्रिंग और विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा) के उल्लंघन की जांच के लिए प्रर्वतन निदेशालय का सहयोग लिया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि कोविड महामारी के दौरान अभिनेता सोनू सूद की एक कंपनी 'गुड वर्कर्स' बनाई थी, जिसने सिंगापुर सरकार के विनिवेश विभाग में 250 करोड़ का निवेश किया था, इस निवेश में भी डीबी कॉर्प के तार जुड़ रहे हैं।

पत्रिका व्यू

भास्कर समूह से जुड़ी व्यापारिक कंपनियों पर आयकर छापे सही हैं या गलत- इस पर निष्पक्ष चर्चा की जानी चाहिए। तभी यह साफ होगा कि 'उजला' कौन है और 'काला' कौन? पिछले कई वर्षों से इस समूह की कंपनियों के अनियमितताओं के मामले सामने आ रहे थे। पनामा पेपर्स में नाम आए, रायगढ़ व सिंगरोली में बिजलीघरों के लिए आदिवासियों व किसानों की जमीनें दबाव डालकर खाली कराने के आरोप लगे, डीबी माल के लिए बस्ती खाली करा के जमीन आवंटित करने का मामला भी उठा, वन भूमि पर संस्कार वैली स्कूल तो आज तक चल रहा है। ऐसी आशा की जा रही थी कि इस तरह के मामलों में कार्रवाई होगी, लेकिन सरकारों ने उदारता दिखाते हुए मौन रहना उचित समझा।

आज जो कार्रवाई हुई, वे अगर व्यापारिक अनियमितताओं के मामले में हुई है, तो अलग बात है, लेकिन यदि मीडिया हाउस होने के कारण छापे डाले गए हैं, तो लोकतंत्र के लिए ये अच्छे लक्षण नहीं हैं।


बड़ी खबरें

View All

विविध भारत

ट्रेंडिंग