
Jammu Airport Drone Attack: Pakistani Terrorists Group Lashkar or Jaish Could be Behind It, Planning For A Year
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक प्रक्रिया का फिर से बहाली करने को लेकर पीएम मोदी ने बीते गुरुवार (24 जून ) को सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसके बाद से घाटी में सियासी सरगर्मी बढ़ गई है। वहीं, दूसरी तरफ राजनैतिक गतिविधियों के फिर से शुरू होने की सुगबुगाहट के बीच आतंकी बौखला गए हैं और नापाक इरादों को अंजाम देने की कोशिश में जुटे हैं।
इसी कड़ी में सर्वदलीय बैठक से पहले जहां 24 घंटे के भीतर तीन हमलों को अंजाम दिया था, वहीं अब रविवार तड़के जम्मू एयरपोर्ट पर एक बड़े हमले को अंजाम देने की कोशिश की गई। हालांकि, इस हमले में किसी प्रकार का कोई विशेष क्षति नहीं हुआ। सबसे बड़ी बात कि बौखलाए आतंकियों ने इस हमले को ड्रोन के जरिए अंजाम देने की कोशिश की। यह पहली बार है जब आतंकियों ने ड्रोन से हमले को अंजाम दिया।
जानकारी के मुताबिक, आतंकियों ने रविवार रात करीब 1:30 बजे जम्मू एयरपोर्ट पर एक ड्रोन से दो कम तीव्रता वाले तात्कालिक विस्फोटक उपकरण (IED) गिराए गए। इस हमले में भारतीय वायु सेना के दो कर्मियों को मामूली चोटें आईं, जबकि विस्फोट की वजह से एक इमारत आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गई।
जैश या लश्कर-ए-तैयबा पर शक
इस हमले के बाद से जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबल और तमाम सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट है। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, रविवार तड़के जम्मू एयरपोर्ट पर भारतीय वायु सेना (IAF) के अड्डे पर एक ड्रोन द्वारा किए हमले के पीछे पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा या जैश-ए-मोहम्मद के हाथ होने की संभावना है। हालांकि, अभी तक इस संबंध में कोई खास जानकारी सामने नहीं आई है और न ही किसी आतंकी संगठन ने इसकी जिम्मेदारी ली है।
खुफिया सूत्रों ने खुलासा किया है कि बम विस्फोटों के निशाने पर एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) की इमारत और वहां मौजूद एमआई17 हेलिकॉप्टर था, लेकिन दोनों चूक गए। दोनों धमाकों में से एक एटीसी से 100 मीटर की दूरी पर हुआ, जिससे इमारत हल्की क्षतिग्रस्त हो गई।
सूत्रों ने यह भी खुलासा किया है कि एक ड्रोन में 5 किलो का टीएनटी बम था जबकि दूसरे में कम पेलोड था। राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) की बम इकाई और अन्य एजेंसियों के विशेषज्ञ बम की प्रकृति की जांच कर रहे हैं।
मालूम हो कि इससे पहले, जैश-ए-मोहम्मद ने हिजबुल मुजाहिदीन के साथ मिलकर पाकिस्तान में सीमा पार से विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर के सांबा सेक्टर में अपने हैंडलर्स के माध्यम से ड्रोन के जरिए से गोला-बारूद नियमित रूप से हासिल किया था। विशिष्ट खुफिया सूचनाओं के तहत क्षेत्र में ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGWs) को भी गिरफ्तार किया गया है।
एक साल से बनाई जा रही थी हमले की योजना
इस हमले के बाद कुछ ऐसे इनपुट मिले हैं, जिससे ये पता चलता है कि पाकिस्तानी आतंकी पिछले एक साल से इस हमले को अंजाम देने की कोशिश में जुटे थे। जानकारी के अनुसार, लश्कर-ए-तैयबा मई 2020 से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में ड्रोन तैयार कर रहा था जो जम्मू और कश्मीर में उनके हिजबुल मुजाहिदीन कैडरों के लिए ग्रेनेड या IED ले जा सकता था।
इंटेल नोट से पता चलता है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में रमजान (2020) से दो दिन पहले आयोजित एक बैठक हुई, जहां कश्मीर में हिजबुल मुजाहिदीन कैडर के लिए लश्कर-ए-तैयबा द्वारा तैयार किए गए ड्रोन का उपयोग करने का निर्णय लिया गया था। इंटेल नोट के अनुसार, "यह ड्रोन नियंत्रक से 3 किमी की दूरी तक 5 किलो IED ले जाने में सक्षम होगा और नियंत्रक इसे नीचे लाने के साथर इसे विस्फोट करने में सक्षम होगा।"
उस बैठक में जकी-उर-रहमान, हमजा अदनान, मोसा भाई, सैयद सलाहुद्दीन, खालिद सैफुल्ला साहिब, ताहिर एजाज साहिब, हिजबुल के नायब अमीर के अलावा कई अन्य आतंकी शामिल थे। बैठक में फैसला लिया गया कि ड्रोन घाटी कैडर को जल्द से जल्द उपलब्ध कराया जाएगा।
सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में ये कहा जा रहा है कि अभी हाल ही लाहौर स्थित आतंकवादी हाफिज सईद के आवास के बाहर एक विस्फोट हुआ था, जिसके जवाब में जम्मू एयरपोर्ट को निशाना बनाया गया है। लाहौर विस्फोट में 22 से अधिक लोग घायल हुए थे और हाफिज सईद की निजी सुरक्षा में से एक समेत तीन की मौत हो गई थी। पाकिस्तान पुलिस ने विस्फोट के लिए 'शत्रुतापूर्ण एजेंसियों' यानी अप्रत्यक्ष तौर पर भारतीय ऐजेंसियों को जिम्मेदार ठहराया था।
Updated on:
27 Jun 2021 08:46 pm
Published on:
27 Jun 2021 08:37 pm
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