
नई दिल्ली। मोदी सरकार 2.0 ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का प्रस्ताव राज्यसभा में पेश किया। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में धारा- 370 हटाने का संकल्प पेश किया। देश में मोदी सरकार के आने के बाद धारा-370 और आर्टिकल 35A को लेकर चर्चाओं का बाजार काफी गर्म रहा है। सबकी जुबान पर एक ही सवाल है कि कश्मीर से इन दो धाराओं के हटने से क्या बदलाव होंगे? आइए जानते हैं इन धाराओं के बारे में...
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क्या हैं अनुच्छेद 370?
धारा-370 के प्रावधानों के अनुसार देश की संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में केवल रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है। लेकिन, किसी अन्य विषय से संबंधित कानून को केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर सरकार से अनुमोदन मिले बगैर लागू नहीं करा सकती है। विशेष दर्जे के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती। यानी जम्मू-कश्मीर में अन्य राज्यों की तरह राष्ट्रपति शासन नहीं लगाया जा सकता है। इसके अलावा देश के राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है। इतना ही नहीं 1976 का शहरी भूमि कानून जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता।
आर्टिकल 35A के मायने...
आर्टिकल 35A से जम्मू-कश्मीर राज्य के लिए स्थायी नागरिकता के नियम और नागरिकों के अधिकार तय होते हैं। 14 मई 1954 के पहले जो कश्मीर में बस गए थे, उन्हीं को वहां का स्थायी निवासी माना जाएगा। 35A के तहत जो व्यक्ति जम्मू और कश्मीर का स्थायी निवासी नहीं है, वो राज्य में सम्पत्ति नहीं खरीद सकता। सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन नहीं कर सकता। सरकारी विश्विद्यालयों में दाखिला नहीं ले सकता और न ही राज्य सरकार द्वारा कोई वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकता है। किसी तरह की सरकारी सहायता और वजीफा भी हासिल नहीं कर सकता है।
Published on:
05 Aug 2019 12:10 pm
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