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कर्नाटक संकट: सुप्रीम कोर्ट ने किया बागी विधायकों की याचिका पर तत्‍काल सुनवाई से इनकार

Published: Jul 22, 2019 04:25:41 pm

Submitted by:

Dhirendra

Karnataka Crisis: SC ने निर्दलीय विधायकों को दिया झटका
सुप्रीम कोर्ट में बहुमत परीक्षण पर सुनवाई मंगलवार को
पार्टी व्हिप पर कांग्रेस और जेडीएस ने की स्‍टैंड स्‍पष्‍ट करने की मांग

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नई दिल्‍ली। सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक संकट ( karnataka crisis ) को लेकर दो निर्दलीय विधायकों की अर्जी पर सोमवार को सुनवाई करने से इनकार कर दिया। बागी निर्दलीय विधायकों ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर कुमारस्‍वामी सरकार को कर्नाटक विधानसभा में तत्‍काल बहुमत साबित करने के लिए निर्देश देने की मांग की थी।
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कर्नाटक संकट पर सुनवाई कल

निर्दलीय विधायक एच नागेश व एक अन्‍य ने कर्नाटक विधानसभा में तत्‍काल बहुमत साबित कराने की मांग को लेकर एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में लगाई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अर्जी पर सुनवाई से इनकार कर दिया।
प्रधान न्‍यायाधीश ने कहा कि मंगलवार को इस मुद्दे पर सुनवाई की जा सकती है।

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सरकार की मंशा ठीक नहीं
निर्दलीय विधायकों ने अर्जी में कहा था कि बहुमत खो चुकी सरकार सदन में विश्‍वासमत पर वोटिंग को टालने में लगी है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट कुमारस्‍वामी सरकार को तुरंत बहुमत परीक्षण का आदेश दे।
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पार्टी व्हिप के मुद्दे पर स्‍टैंड स्‍पष्‍ट करे SC

इससे पहले राज्य कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश जी राव और मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने अर्जी दायर कर 17 जुलाई के आदेश को स्पष्ट करने की मांग की है।
कांग्रेस अध्‍यक्ष दिनेश जी राव कुमारस्‍वामी ने अपनी अर्जी में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट स्पष्ट करे कि 15 विधायकों को सदन की कार्यवाही से छूट देने का आदेश पार्टी व्हिप के संवैधानिक अधिकार का हनन है या नहीं।
अर्जी में पार्टी व्हिप जारी करने के संवैधानिक अधिकार का मुद्दा उठाया गया है जबकि राज्यपाल के बहुमत साबित करने का समय तय किए जाने को भी ग़लत बताया गया है।

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बागी विधायकों को शीर्ष अदालत से मिली थी इस बात की छूट

सुप्रीम कोर्ट ने 17 जुलाई को अपने अंतरिम आदेश में कहा था कि कर्नाटक के इस्तीफा देने वाले 15 विधायक सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए बाध्य नहीं हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा था कि स्पीकर को अधिकार है कि वह तय करें कि कब तक विधायकों के इस्तीफे पर फैसला लेना है।

लेकिन 15 बागी विधायकों को शक्ति परीक्षण में शामिल होने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

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