
श्रीनगर। एक जोकर जो कश्मीर की वादियों को हंसाता था, लोगों की उदासी दूर कर चेहरे पर मुस्कान लाता था। लेकिन लोगों को हंसाने वाला सब के गम खुशियों में बदलने वाल एक कश्मीरी युवक कब आतंक का पर्याय बन गया कोई समझ नहीं पा रहा। डर और मौत का घर बन चुका आतंकी सद्दाम पाडर मारा जा चुका है। रविवार को बादीगाम में सुबह-सुबह हुई गोलियों की बारीश में आंतकी सद्दाम और उसके चार अन्य साथी मारे जा चुके हैं।
बता दें कि मारा गया आतंकी सद्दाम उनमें से ही एक था जब 2015 में हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी के साथ 11 और आतंकियों की फोटो सोशल मीडिया पर सनसनी फैला रही थी। इन 11 में से अब सिर्फ एक आतंकी तारिक पंडित बचा हुआ है जो इस समय जेल में बंद है। वहीं सद्दाम की मौत को शोपियां व उसके आसपास सटे इलाकों में हिजबुल मुजाहिदीन के नेटवर्क के लिए एक बड़ा आघात माना जा रहा है।
सद्दाम कब बना जोकर से आतंकी
सद्दाम शोपियां के हेफ गांव में टंगपोरा मोहल्ले का रहने वाला था। वह पहली बार साल 2015 में आतंकी के रूप में देखा गया। लोगों को हंसाने वाला एक नवयुवक कैसे एक आतंकी बन गया, यह सब देख कर सब हैरान थे। सद्दाम की आंतकी बनने की शुरुआत पत्थर बाजी से हुई। उसने पढ़ाई को बीच में ही छोड़ दिया और पत्थरबाजी करने लगा।
मीडिया रिपोर्ट की माने तो उस समय वह आतंकियों के लिए अप्रत्यक्ष रूप से काम करता था। लेकिन इस बात का किसी को अंदाजा नहीं था कि वह आतंकी बनेगा। पुलिस और उसके परिजनों या दोस्तों को भी इस बात का यकीन नहीं। सद्दाम स्कूल छोड़ने के बाद अक्सर अपने पिता के साथ अपने बाग में काम करता दिखता था या फिर अपनी भेड़ों के साथ।
जोरक से डरने लगे लोग
वहीं जब समय बचता था तो वह गांव के चौराहे पर लोगों को हंसाया करता था। साथ ही क्रिकेट खेलता दिखता था। उसके बारे में कहा जाता है कि वह लोगों को हंसाने में इतना माहिर था कि उसे देखते ही लोग हंसने लगते थे। सद्दाम को सब जोकर समझते थे। लेकिन एक जोकर ने आतंकी संगठन का हाथ थामा और उसके बाद लोग उसके नाम पर हंसने की जगह उससे डरने, सहमने लगे।
राष्ट्रविरोधी गतिविधि
बता दें कि साल 2014 में वह राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के सिलसिले में अंतिम बार पकड़ा गया था। रिहा होने के कुछ दिनों बाद तक वह घर रहा। फिर एक दिन गायब हो गया। लगभग छह से सात माह बाद लोगों ने सोशल मीडिया पर उसकी फोटो देखी। सद्दाम शुरू में लश्कर-ए-तोएबा आतंकी संगठन में रहा। साल 2015 में उसने हिजबुल मुजाहिदीन का दामन था और आतंकी बुरहान वानी के करीबियों में उसे गिना जाने लगा था। उसके ऊपर 15 लाख का इनाम भी था।
Published on:
07 May 2018 09:46 am
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