
supreme court
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केरल विधानसभा में हंगामा करने और फर्नीचर को नुकसान पहुंचाने वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) के विधायकों को बड़ा झटका दिया है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने आज दोषी विधायकों की मामले में राहत देने वाली याचिका को खारिज करते हुए दर्ज मामले की ट्रायल जारी रखने का आदेश दिया है। राज्य सरकार ने केरल हाईकोर्ट के 12 मार्च के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका दाखिल कर विधायकों के खिलाफ केस वापस लेने की इजाजत मांगी थी।
विधायकों पर चलेगा केस
सुप्रीम कोर्ट की दो जजों वाली पीठ ने बुधवार यायिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि इस मामले में राज्य के मौजूदा शिक्षा और श्रम मंत्री वी सिवानकुट्टी और पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री केटी जलील के खिलाफ केस चलेगा। कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि विधायकों को मिले विशेषाधिकार आपराधिक कानूनों से बचने का रास्ता नहीं है। इस तरह के विशेषाधिकारों का दावा करने वाले विधायकों ने भारतीय मतदाताओं के साथ विश्वासघात किया है।
कानून से ऊपर नहीं हो सकते चुने हुए लोग
अपने फैसले में कहा कि चुने हुए लोग कानून से ऊपर नहीं हो सकते और उन्हें उनके अपराध के लिए छूट नहीं दी जा सकती। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि विधायकों को विशेषाधिकार इसलिए दी गई है कि आप लोगों के लिए काम करो। असेंबली में तोड़फोड़ करने का अधिकार नहीं दिया गया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि उपद्रवी विधायकों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेना पूरी तरह से जनहित और लोक न्याय के विरुद्ध होगा।
जानिए क्या है मामला
दरअसल, केरल विधानसभा में 13 मार्च, 2015 को अप्रत्याशित घटना हुई थी। उस समय विपक्ष की भूमिका निभा रहे एलडीएफ के सदस्यों ने तत्कालीन वित्त मंत्री के एम मणि को राज्य का बजट पेश करने से रोकने की कोशिश की थी। तत्कालीन एलडीएफ सदस्यों ने अध्यक्ष की कुर्सी को मंच से फेंकने के अलावा पीठासीन अधिकारी की मेज पर लगे कंप्यूटर, की-बोर्ड और माइक जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को भी कथित रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया गया था।
Published on:
28 Jul 2021 02:31 pm
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