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केंद्र सरकार के विरोध में उतरे सियासी दल, केरल के लिए मांगी विदेशी मदद की इजाजत

बाढ़ की तबाही से जूझ रहे देश के दक्षिण राज्य केरल के राजनीतिक दलों के नेताओं ने केंद्र सरकार से प्रदेश में राहत कार्य के लिए विदेशी मदद स्वीकार करने पर पुनर्विचार करने को कहा है।

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केंद्र सरकार के विरोध में उतरे सियासी दल, विदेशी मदद की इजाजत मांगी

तिरुवनंतपुरम। बाढ़ की तबाही से जूझ रहे देश के दक्षिण राज्य केरल के राजनीतिक दलों के नेताओं ने केंद्र सरकार से प्रदेश में राहत कार्य के लिए विदेशी मदद स्वीकार करने पर पुनर्विचार करने को कहा है। प्रदेश में सत्ताधारी माकपा और विपक्षी दल कांग्रेस ने केंद्र विदेश मदद पर प्रतिबंध लगाने वाले रुख पर नाराजगी जाहिर की है। पूर्व रक्षामंत्री व कांग्रेस नेता एके एंटनी ने सरकार से मांग की है कि विदेशों से मिलने वाली मदद स्वीकार करने के लिए नियमों में परिवर्तन किया जाना चाहिए। आपको बता दें कि भारत सरकार ने अपने सभी राजदूतों को मेल किया था, जिसमें उनको कहा गया था कि वो केरल के लिए विदेशी मदद लेने से परहेज करें।

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केंद्र द्वारा विदेशी मदद स्वीकार करने से मना करने की रिपोर्ट के बाद यह मसला गंभीर हो गया है क्योंकि पूर्व की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने ही राष्ट्रीय आपदाओं से निपटने में देश को सक्षम बताते हुए विदेशी सहायता नहीं लेने का फैसला लिया था और मौजूदा सरकार भी उस रुख पर कायम है। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने बाढ़ प्रभावित केरल में राहत कार्य के लिए मंगलवार को 10 करोड़ डॉलर (तकरीबन 700 करोड़ रुपये) की मदद की पेशकश की। मालूम हो कि यूएई में केरल के प्रवासी बहुतायत में हैं। उधर, नई दिल्ली में थाइलैंड के राजदूत ने केरल में बाढ़ राहत कार्य के लिए भारत द्वारा विदेशी मदद स्वीकार नहीं करने की बात ट्वीट के माध्यम से कही।

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आपको बता दें कि केन्द्र सरकार ने सभी दूतावासों को एक मेल जारी किया है। इस मेल में कहा गया है कि भारत में लागू 2004 की नीति के अनुसार घरेलू आपदाओं से निपटने के लिए सरकार स्व-संसाधनों से ही निपटती हैै। जबकि विदेशी मदद को उन हालात में ही स्वीकार नहीं किया जा सकता जब तक उसकी जरूरत न हो।