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Ladakh : सेना ने बेस कैंप और कुमार पोस्ट खोल लिया बड़ा फैसला, चीन को दिया साफ संकेत

locationनई दिल्लीPublished: Jul 27, 2020 01:06:20 pm

Submitted by:

Dhirendra

 

Centre के इस फैसले से Border villages का विकास होगा।
Leh District Administration लंबे वक्त से इस इलाकों को नागरिकों के लिए खोलने की मांग करता रहा है।
इन इलाकों में जाने वाले टूरिस्टों को Army जारी करेगी Permit।

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Leh District Administration लंबे वक्त से इस इलाकों को नागरिकों के लिए खोलने की मांग करता रहा है।

नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख ( East Ladakh ) क्षेत्र में सीमा पर भारत और चीन ( India and China ) के बीच तनाव जारी है। दोनों देशों के बीच जारी गतिरोध को दूर करन के लिए सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर प्रयास जारी हैं। लेकिन मामले को लंबा खिंचता देख भारत ( India ) ने बड़ा फैसला लिया है। इस फैसले के तहत सेना से सियाचिन बेस कैंप ( Siachen Base Camp ) और लद्दाख में कुमार पोस्ट ( Kumar Post ) को आम नागरिकों के लिए खोल दिया है।
भारत के इस फैसले को साहसिक कदम माना जा रहा है। हालांकि, बेस कैंप और कुमार पोस्ट को खोलने का फैसला पिछले साल अक्टूबर में ही लिया गया था। अब उसे लागू करने का फैसला सेना ने लिया है। सेना का यह कदम चीन ( China ) को साफ संकेत है कि उसके आक्रामक रवैये से भारत ( India ) पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है।
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जानकारी के मुताबिक सियाचिन बेस कैंप लेह से करीब 225 किलोमीटर उत्तर में है। अभी यह खारदुंग ला पास ( Khardung La Pass ) और नुब्रा नदी ( Nubra River ) के किनारे बनी ब्लैक टॉप रोड ( Black Tap Road ) से जुड़ा है। बेस कैंप करीब 11,000 फीट की ऊंचाई पर है। जबकि कुमार पोस्ट 15,000 फीट ऊंचाई पर।
इस क्षेत्र में एडवेंचर टूरिज्म ( Adventure tourism ) के मकसद से जाने वाले पर्यटकों का भारतीय सेना ( India Army ) की एडवेंचर सेल डिटेल जानकारी लेगी। उसके बाद इस क्षेत्र में प्रवेश की इजाजत दी जाएगी।
इस क्षेत्र में घूमने के मकसद से जाने वाले पर्यटकों को लेह प्रशासन के प्रोटोकॉल्स और क्वारंटीन ( Quarantine ) प्रोसीजर का पालन करना होगा। फिलहाल लेह से 40 किलोमीटर के दायरे में ही गैर-स्था‍नीय लोग जा सकते हैं।
माना जा रहा है कि केंद्र ने इस फैसले से अपनी उस नीति में बदलाव के संकेत दिए हैं जिसके तहत फॉरवर्ड गांवों को नागरिकों से दूर रखा जाता है। जबकि बेस कैंप और कुमार पोस्ट क्षेत्र के गांवों में अवसरों की कमी की वजह से आबादी बहुत कम है।
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दूसरी तरफ लेह और नुबरा के साथ-साथ पैंगोंग झील से सटे गांवों में टूरिज्म के चलते आर्थिक प्रगति हुई है। लेह जिला प्रशासन लंबे वक्त से और इलाकों को नागरिकों के लिए खोलने की मांग करता रहा है।
इससे पहले 2018 में सीमावर्ती क्षेत्रों में 5 नए रूट्स खोले एडवेंचर टूरिज्म के मकसद से खोले गए थे। इनमें से अधिकतर वास्तविक नियंत्रण रेखा ( LAC ) तक पहुंचते हैं।

बता दें कि दुनिया की सबसे ऊंचा युद्ध मैदान के रूप में चर्चित सियाचिन लद्दाख की गलवान घाटी ( Galwan Valley ) के ठीक पश्चिम में पड़ता है। सियाचिन से भारत-पाकिस्तान ( India-Pakistan ) और शाख्सगाम ( Shakshgam ) का ट्राई जंक्शन ( Tri junction ) दिखता है। शाख्सगाम वो घाटी है जो पाकिस्तान ने अक्साई चिन (Aksai Chin ) के साथ में चीन को दे दी थी। जबकि शख्सगाम को भारत आज भी अपना हिस्सा मानता है।
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