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Lockdown: बाजार में आटा, दाल, इंस्टेंट नूडल्स की भारी किल्लत, उत्पादन न होने से सप्लाई चेन प्रभावित

लॉकडाउन की वजह से कंपनियों को नहीं मिल रहे हैं काम करने वाले श्रमिक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए परिवहन सुविधाओं का बड़े पैमाने पर अभाव गोदामों में फंसे हैं कच्चे और तैयार माल, स्टॉक को बाहर निकालना मुश्किल

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नई दिल्ली। लॉकडाउन ( Lockdown) लागू होने के एक पखवाड़े के अंदर ही बाजार पर उसका असर दिखाई देने लगा है। खाद्य पदार्थों के उत्पादान और श्रमिकों की कमी के कारण रिटेल और किराना स्टोरों में इंस्टेंट नूडल्स, बिस्कुट और स्नैक्स जैसे खाद्य पदार्थों की भारी कमी दिखाई देने लगी है। यह कमी कोविद-19 महामारी और लॉकडाउन के कारण कारखानों और फैक्ट्रियों में उत्पादन न के बराबर होने और ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा न होने की वजह से हुई है। जबकि इन वस्तुओं की मांग में भारी उछाल आया है।

हाइपर मार्केट के सीईओ मोहित कंपानी ने बताया है कि आटा की आपूर्ति में भारी कमी आई है। इसके अलावा नूडल्स और बिस्कुट जैसे पैकिंग के समान भी लोगों को कम मिल रहे हैं। एफएमसीजी कंपनियां उत्पादित वस्तुओं की कमी और वस्तुओं की आपूर्ति चेन सही न होने की समस्या का सामना कर रही हैं।

मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे दालों के उत्पादक राज्यों में 75 फीसदी मिलों में दाल की कमी अभी से शुरू हो गया है। यह कमी लॉकडाउन की वजह से उत्पादन के परिवहन के लिए साधन नहीं है।

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मैगी नूडल्स बनाने वाली कंपनी नेस्ले ने इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन कंपनी ने पिछले महीने कहा था कि उसने कुछ स्थानों पर अपनी सेवाओं को रोक दिया है। ब्रिटानिया, आईटीसी, पेप्सिको और पारले जैसी कंपनियां भी इसी तरह की समस्याओं का सामना कर रही है।

जब से लॉकडाउन लागू हुआ है तब से एफएमसीजी कंपनियां केवल 20 से 30 फीसदी मानव क्षमता के बल पर ही अपना काम चला रही हैं। कोरोना की वजह से अधिकांश मजदूर अपने मूल शहरों और गांवों में वापस चले गए हैं।

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कुछ राज्यों में सरकार खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों के उत्पादन की अनुमति नहीं होने की वजह से चिप्स और अन्य स्नैक्स की बाजार में भारी कमी है। पश्चिम बंगाल में पेप्सिको का प्लांट चालू नहीं है। इसके अन्य दो संयंत्र 15 फीसदी क्षमता पर चल रहे हैं। कंपनी के पास मजदूर उपलब्ध नहीं हैं। वर्तमान में जो स्टॉक है वह एक सीमित सीमा तक ही आपूर्ति करने में सक्षम है। इसलिए आने वाले दिनों में पैकेज्ड फूड की आपूर्ति और ज्यादा प्रभावित होगी।

ब्रिटानिया के एमडी वरुण बेरी का कहना है कि पिछले सप्ताह तुलना में वो अपनी क्षमता से केवल 20 से 30 सेवाएं ही दे पा रहे हैं। पार्ले 25 फीसदी सेवाएं देने में सक्षम है। मजदूरों को ग्राम प्रधान और स्थानीय प्रशासन के अधिकारी काम पर आने से रोक देते हैं। इस समस्या से कंपनियों को निजात दिलाने के लिए सरकार को चाहिए कि वो ग्रामीणों से अपील करें और मजदूरों को काम पर आने दें।

भारत के प्रमुख स्नैक्स निर्माताओं में से एक इंदौर के प्रताप स्नैक्स के सीओओ सुभाषिस बसु ने कहा कि हमारे देश भर में 14 संयंत्र हैं, लेकिन कुछ ही चालू हैं। केवल 10 फीसदी उत्पादन हो रहा है। उन्होंने कहा कि कच्चे माल के साथ-साथ तैयार माल के साथ फंस गए हैं। आपूर्ति श्रृंखला एक बड़ी समस्या है।

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पारले जैसे बिस्किट निर्माताओं ने कहा कि इसके कई वितरक नियमित रूप से इसे खरीद नहीं रहे हैं। जबकि एक बड़े ब्रोकर उत्पादित वस्तुओां को भेजने के लिए श्रमिक नहीं हैं।


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