दरअसल, घर वापसी के लिए परिवहन की मांग को लेकर रविवार को सैकड़ों प्रवासी श्रमिक कोट्टायम के चंगनास्सेरी के पास की सड़कों पर उतर आए। इस घटना की सूचना मिलने पर पयिप्पड़ गांव के लोगों से मिलने के तुरंत बाद केरल सरकार ने प्रवासी मजदूरों को शांत करने के लिए पुलिस बल तैनात कर दिया। स्थिति बिगड़ने से पहले कोट्टायम के डीएम भी मौके पर पहुंच गए।
सऊदी अरब से आई महिला ने छिपाई कोरोना पीड़ित होने की बात, खुलासा होने पर पुलिस ने की FIR कोट्टायम के जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक ने पयिप्पड़ गांव की सड़कों पर आंदोलनरत प्रवासी श्रमिकों के साथ बातचीत की और कोरोना की गंभीरता का अहसास कराने में सफल हुए। अधिकारियों से बात से संतुष्ट प्रवासी मजदूर वापस अपने शिविरों में चले गए और लॉकडाउन ब्रेक होने वाला संकट टल गया।
अधिकारियों ने प्रवासी श्रमिकों को आश्वासन दिया कि लॉकडाउन अवधि के दौरान राज्य में उनके सुविधाजनक प्रवास के लिए सभी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। लेकिन लोगों के निवास स्थान से बाहर निकलने पर केंद्र सरकार द्वारा लगाई गई रोक के निर्देश का उल्लेख करते हुए उनकी यात्रा सुविधाओं की मांग खारिज कर दी।
कोट्टायम के जिला कलेक्टर पीके सुधीर बाबू ने श्रमिकों से बात करने के बाद बताया कि मजदूर अपने घर वापस जाना चाहते हैं। लेकिन लॉकडाउन के लागू रहते प्रवासी मजदूरों को जाने की इजाजत देना संभव नहीं है। यह व्यावहारिक रूप से असंभव है। अधिकारियों ने कहा कि श्रमिकों ने दिल्ली सहित अन्य राज्यों में लोगों की यात्रा के लिए किए गए इंतजाम की तरह की सुविधा की मांग की।
Coronavirus: आज पीएम मोदी ‘मन की बात’ में COVID-19 पर करेंगे चर्चा, ट्वीट कर दी जानकारी केरल के पर्यटन मंत्री के सुरेंद्रन ने समस्या को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग की। सुरेंद्रन ने कहा कि अगर उनकी यात्रा के लिए एक विशेष ट्रेन की व्यवस्था की जाती है तो हम उनकी यात्रा को सुगम बनाएंगे।
केरल के एक अन्य मंत्री पी तिलोतमन ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों के लिए भोजन, पानी और आश्रय उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने पयिप्पड़ में प्रवासी श्रमिकों द्वारा बंद के उल्लंघन के पीछे जान बूझकर प्रयास ऐसा करने का आरोप लगाया।