महाराष्ट्र सरकार और अनिल देशमुख पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, बॉम्बे HC के आदेश को दी चुनौती
बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा '100 करोड़ रुपये उगाही करने' के मामले की सीबीआई जांच कराने के आदेश को महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार और अनिल देशमुख ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

नई दिल्ली। महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के इस्तीफे के बाद से महाराष्ट्र का सियासी पारा चढ़ा हुआ है। दूसरी तरफ अनिल देशमुख पर 'हर महीने 100 करोड़ रुपये उगाही करने' के लगे आरोपों की जांच बॉम्बे हाईकोर्ट की ओर से सीबीआई को सौंपी गई है, जिसके खिलाफ महाराष्ट्र सरकार और अनिल देशमुख ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार और अनिल देशमुख ने बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। दोनों ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि बॉम्बे हाई कोेर्ट के फैसले को रद्द किया जाए। अनिल देशमुख सोमवार को अपने पद से इस्तीफा देने के बाद देर शाम नई दिल्ली पहुंचे हैं।
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बता दें कि मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने सीएम उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर ये आरोप लगाया था कि अनिल देशमुख ने निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वाजे को हर महीने 100 करोड़े रुपये उगाही करने का लक्ष्य दिया है। साथ ही ये भी बताया है कि कैसे और कहां-कहां से उगाही करनी है। यह मामला सामने आने के बाद महाराष्ट्र की सियासत में तूफान आ गया।
Maharashtra Government moves Supreme Court challenging the Bombay High Court order in which it ordered the CBI probe against former Home Minister, Anil Deshmukh, for his alleged involvement in corruption, levelled by former Mumbai Police Commissioner Param Bir Singh
— ANI (@ANI) April 6, 2021
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुनाया था ये अहम फैसला
मालूम हो कि परमबीर सिंह ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की। इस पर बीते सोमवार को सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने बड़ा अहम फैसला सुनाया और मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए। कोर्ट ने कहा कि सीबीआई को प्रारंभिक जांच 15 दिन के भीतर पूरी करनी होगी और फिर आगे की कार्रवाई पर फैसला लेना होगा।
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कोर्ट ने अपने फैसले में कहा 'हम इस बात पर सहमत हैं कि अदालत के सामने आया यह अभूतपूर्व मामला है.. देशमुख गृह मंत्री हैं जो पुलिस का नेतृत्व करते हैं.. और इस केस की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए.. ऐसे में देशमुख के पद पर रहते हुए निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मामले में सीबीआई को तत्काल प्राथमिकी दर्ज करने की जरूरत नहीं है।'
कोर्ट के इस आदेश के बाद अनिल देशमुख ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और कोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए दिल्ली पहुंचे हैं। हालांकि, उन्होंने अपने उपर लगे सभी आरोपों से इनकार किया है।
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