
नई दिल्ली। देश में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) के विरोध में हो रहे हिंसक प्रदर्शन के बीच मोदी सरकारनेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) की शुरुआत करने जा रही है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसके लिए कैबिनेट से 3,941 करोड़ रुपए की डिमांड की है। NPR का मुख्य उद्देश्य देश के नागरिकों का पहचान डेटाबेस तैयार करना है। यह डेटा जनसांख्यिंकी के साथ बायोमेट्रिक आधारित होगा। हालांकि कुछ राज्यों में NPR का विरोध हो रहा है।
पश्चिम बंगाल की सीएम और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने राज्य में NPR पर जारी काम रोक दिया है। इसके साथ ही केरल में वामदलों की सरकार ने भी एनपीआर के काम पर रोक लगा दी है। वहीं, एक अप्रैल 2020 से एनपीआर के लिए शुरु होने वाले सर्वे को लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सर्वे के पहले चरण एक अप्रैल 2020 लेकर से 30 सितंबर) के बीच सरकारी कर्मचारी डोर-टू-डोर जाकर आंकड़े इकठ्ठा करेंगे। जबकि जनगणना का दूसरा चरण 2021 में 9 फरवरी से 28 फरवरी और संशोधन प्रकिया 1 मार्च से 5 मार्च के बीच पूरी की जाएगी।
गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने NPR को लेकर पहले ही संकेत दे दिए थे। अमित शाह के अनुसार 2021 की जनगणना में पहली बार एनपीआर तैयार किया जाएगा, जो डिजिटल होगा। 2021 की जनगणना अब तक की सबसे महंगी प्रक्रिया होगी, जिसमें कुल 12 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। 2021 में होने वाली 16वीं भारतीय जनगणना फरवरी 2021 तक जारी रहेगी और एक मार्च की मध्यरात्रि को समाप्त होगी।
जनगणना 1865 में कलम और कागज से शुरू हुई थी, वह 2021 में डिजिटल तरीके से होगी। आजादी के बाद होने वाली इस आठवीं जनगणना की प्रक्रिया में एक मोबाइल ऐप का इस्तेमाल किया जाएगा। 2021 की जनगणना में पहली बार एनपीआर तैयार किया जा रहा है। यह कानून एवं व्यवस्था, लैंगिक समानता जैसे कई मुद्दों को हल करने में मदद करेगा। यह प्रक्रिया 16 भाषाओं में पूरी होगी।
Updated on:
21 Dec 2019 09:12 am
Published on:
21 Dec 2019 09:07 am
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