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पिछले 30-40 साल में सबसे मुश्किल दौर में हैं भारत-चीन संबंध: एस जयशंकर

एक इंटरव्यू में विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S. Jaishankar) ने कहा है कि चीन द्वारा LAC पर नियमों के उल्लंघन के कारण दोनों देशों के बीच संबंध बहुत बुरे दौर में हैं

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Vivhav Shukla

Dec 09, 2020

Most difficult phase with China in last 30-40 years:  S Jaishankar

Most difficult phase with China in last 30-40 years: S Jaishankar

नई दिल्ली। भारत और चीन के रिश्ते सालों से खराब चल रहे हैं लेकिन इस साल लद्दाख में LAC विवाद के बाद दोनों के रिश्तों में और कड़वाहट आ चुकी है। इतना ही नहीं दोनों देशों की सेनाएँ लद्दाख में LAC पर एक-दूसरे के सामने डटी हुई हैं। चीन से खराब रिश्ते के बारे में भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर का कहना है कि दोनों देशों के बीच मौजूदा संबंध पिछले 30-40 सालों में सबसे ज्याद मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं।

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दरअसल, एस.जयशंकर ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के लौवी इंस्टीट्यूट के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर माइकल फुलीलव को एक इंटरव्यू दिया था। जिसमें उन्होंने दोनों देशों के रिश्ते को लेकर खुल कर बात की। उन्होंने इंटरव्यू में बताया कि चीन ने लद्दाख में LAC पर हजारों सैनिकों को तैनात करने के लिए समझौतों का उल्लंघन किया है।

उन्होंने कहा कि पिछले 30-40 सालों में आज के समय भारत के चीन के साथ संबंध सबसे बुरे दौर में पहुंच चुके हैं। एस.जयशंकर ने गलवान घाटी में 20 सैनिकों की शहादत के बारे में बात करते हुए कहा कि LAC पर चीन की तरफ की गई हिंसक कार्रवाई ने इन हालातों को जन्म दिया। इससे पहले साल 1975 में सैनिकों ने जान गंवाई थी।

इंटरव्यू में एस.जयशंकर ने कहा कि साल 1988 के बाद से चीन और भारत के रिश्ते बेहतर हो रहे थे। 30 साल पहले जहां भारत और चीन के व्यापार लगभग शून्य था लेकिन आज चीन भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। उन्होंने आगे कहा कि दो देशों के बीच बहस और झड़प होती रहती थी, ये सामान्य था।

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एस जयशंकर ने कहा कि चीन के साथ समझौता था कि कोई भी बड़ी संख्या में सेना लेकर सीमा पर नहीं आएगा लेकिन चीन ने बात नहीं मानी। जिसकी वजह से ये समस्या पैदा हुई और 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए।

भारत के विदेश मंत्री ने इंटरव्यू में कहा कि रिश्तों को फिर से ट्रैक पर लाना अब बहुत बड़ा मुद्दा है। उन्होंने बताया कि उन्होंने चीनी समकक्ष वांग यी से फोन पर बातचीत की है और इसके अलावा भी रक्षा मंत्री, सैन्य कमांडर और राजनयिकों की बातचीत होती रही है। लेकिन अभी तक कोई समझौता नहीं हो पाया है।