
इस्लामी क्रांति के नेता अयातुल्ला सैयद अली खामेनेई
नई दिल्ली। अयातुल्ला खामेनेई के निर्माण कार्यों के संरक्षण और प्रकाशन फाउंडेशन के मुताबिक 2001 में मोहर्रम ( Muharram ) के महीने की दहलीज पर इस्लामी क्रांति ( Islamic Revolution ) के नेता अयातुल्ला सैयद खामेनेई ( Ayatollah Seyyed Ali Khamenei ) की उदात्त टिप्पणियां बुधवार को पहली बार प्रकाशित हुईं। खामनेई ने मोहर्रम के महीने के शोक के आगमन की ओर इशारा किया और दोहराया, 'इतिहास की एक अनोखी स्मृति का निर्वहन मोहर्रम के महीने के पहलुओं में से एक है, जिसे गंभीरता से ध्यान में रखा जाना चाहिए।'
मोहर्रम इतिहास की एक अनोखी और अनुपम स्मृति
इस्लामी क्रांति के नेता अयातुल्ला सैयद खामनेई के मुताबिक मुहर्रम इतिहास की एक अनोखी और अनुपम स्मृति है। उन्होंने कहा कि इतिहास की एक अनूठी स्मृति का स्मरण, मोहर्रम के महीने के प्रमुख पहलुओं में से एक है, इसे ध्यान में रखा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मोहर्रम के महीने में इस अद्वितीय ’पहलू को मानव सत्य की प्रमुखता और मुख्य विशेषताओं के महाकाव्य और उद्भव के रूप में संदर्भित किया जाता है।
अयातुल्ला ने कहा इमाम हुसैन और उनके की ओर से उत्थान के लिए उठाए गए कदम इन विशेषताओं के साथ अद्वितीय हैं। हमने कई विद्रोह देखे हैं, लेकिन यह विद्रोह, जो इमाम हुसैन से प्रेरित था, अपनी तरह का अनूठा है।
इसके बाद उन्होंने मोहर्रम के महीने के मुख्य पहलू पर ध्यान दिया जो इस्लाम के इतिहास में सबसे बड़ा महाकाव्य है और कहा, इस महान महाकाव्य को संरक्षित और जीवित रखा जाना चाहिए।
अयातुल्ला ने जोर दिया कि न केवल मोहर्रम इस्लाम के इतिहास में सबसे बड़ा महाकाव्य है, बल्कि यह सभी समय के इतिहास में सबसे महान है। इसे हमेशा के लिए जीवित रखा जाना चाहिए। इस ऐतिहासिक महाकाव्य का उपयोग मुस्लिम इतिहास की शाश्वत और सतत गतिविधियों में एक समस्या निवारणकर्ता के रूप में होना चाहिए।
आपको बता दें कि मोहर्रम शिया मुस्लिम समुदाय के लोग गम के रूप में मनाते हैं। इस दिन इमाम हुसैन और उनके अनुयायियों की शहादत को याद किया जाता है। मोहर्रम पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के 72 साथियों के शहादत की याद में मनाया जाता है।
Published on:
20 Aug 2020 11:36 am
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