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नासा ने रचा इतिहास, मंगल ग्रह के वायुमंडल से बनाई सांस लेने योग्य ऑक्सीजन

locationनई दिल्लीPublished: Apr 23, 2021 09:28:50 am

Submitted by:

Shaitan Prajapat

नासा ने मंगल ग्रह पर वायुमंडल से कार्बन डाई ऑक्साइड (CO-2) को शुद्ध कर ऑक्सीजन में बदल दिया।5 ग्राम ऑक्सीजन एक अंतरिक्ष यात्री के 10 मिनट के सांस लेने के बराबर है।
 

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नई दिल्ली। अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा (NASA) को एक बहुत बड़ी कामयाबी मिली है। नासा के पर्सिवरेंस रोवर ने दो महीने बाद अपने प्रमुख उद्देश्यों में से एक में सफलता हासिल कर ली है। उन्होंने मंगल ग्रह पर इतिहास रचते हुए वायुमंडल से कार्बन डाई ऑक्साइड (सीओ-2) को शुद्ध करके सांस लेने योग्य ऑक्सीजन में बदल दिया। 63 दिनों के बाद रोवर ने मॉक्सी नाम के उपकरण से मंगल के कार्बन डाइऑक्साइड से 5 ग्राम ऑक्सीजन का निर्माण करने का कारनामा किया है। यह ऑक्सीजन एक अंतरिक्ष यात्री के 10 मिनट के सांस लेने के बराबर है। नासा के बताया कि यह प्रयोग दुनिया में पहली बार हुआ है। धरती के बाद किसी और ग्रह पर सांस लेने योग्य ऑक्सीजन बनाई गई है।

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पहली बार ऑक्सीजन बनाने में मिली सफलता
हालांकि नासा ने यह ऑक्सीजन बहुत कम मात्रा तैयार की है। इस सफलता को आगे के अभियानों के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उन्होंने यह प्रयोग कर दिखाया कि प्राकृतिक संसाधनों के इस्तेमाल से दूसरे ग्रह के वातावरण से मनुष्यों के लिए सांस लेने के लिए ऑक्सीजन बनाई है। नासा ने पर्सीवरेंस रोवर के साथ मॉक्सी नाम के एक उपकरण को भी मंगल पर भेजा गया है। उसे पहली बार ऑक्सीजन बनाने में सफलता मिली है। मॉस्की का आकार एक टोस्टर के जैसा है। इस उपकरण ने मंगल पर 20 अप्रैल को ऑक्सीजन बनाई। आपको बता दें कि मंगल ग्रह पर कार्बन डाइऑक्साइड अत्याधिक मात्रा में पाई जाती है। मॉक्सी कार्बन डाइऑक्साइड से ऑक्सीजन के अणुओं को अलग कर देता है। इस प्रक्रिया में करीब 800 डिग्री सेल्सियस की गर्मी की जरूरत होती है। मॉक्सी ये काम करने में सक्षम है।

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2023 तक मंगल पर मानव को पहुचाना उद्देश्य
इसे लेकर नासा ने बुधवार को कहा कि प्रारंभिक उत्पादन मामूली था। लेकिन यह प्रयोग दिखाता है कि प्राकृतिक संसाधनों के इस्तेमाल से दूसरे ग्रह के वातावरण का इस्तेमाल मनुष्यों द्वारा सीधे सांस लेने के लिए किया जा सकता है। नासा के अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी मिशन निदेशालय की निदेशक ट्रडी कोर्ट्स का कहना है कि नासा का लक्ष्य है कि 2033 तक मंगल पर मानव पहुंचाने का है। उन्होंने कहा कि इस दौरान जो भी चुनौतियों से निपटने के लिए पूरी तैयारी की जा रही है। इसमें से एक मंगल पर ऑक्सीजन का निर्माण करना बड़ी चुनौती थी, जो अब हल हो गई है।

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