निर्भय कांड को भले ही आठ वर्ष बीत चुके हैं, इस जघन्य हत्याकांड के बाद देश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कई कानून भी बने, लेकिन खास बदलाव नहीं देखने को मिला। निर्भया के दोषियों को फांसी देकर कानून ने भले ही अपना काम कर दिया हो, उनकी मां आशा देवी अब भी एक चाहत लेकर आगे बढ़ रही हैं।
आठ हफ्ते के बच्चे को लगेगा 16 करोड़ रुपए का इंजेक्शन, जानिए क्या है एसएमए बीमारी, क्यों है इतना मंहगा इलाज निर्भया कांड को आठ साल बीत चुके हैं। मानवता को शर्मसार कर देने वाली इस घटना के बाद केंद्र से लेकर राज्य सरकारों ने कई कड़े कानून भी बनाए, लेकिन इसका व्यापक असर नहीं दिखा। आए दिन अलग-अलग राज्यों में युवतियों और महिलाओं के साथ दुष्कर्म और गैंगरेप जैसे जघन्य घटनाएं घट रही हैं।
इन हादसों को लेकर निर्भया की मां आशा देवी काफी आहत हैं। वे कहती हैं कानून ने भले ही निर्भया के दोषियों को फांसी दे दी है, लेकिन अब भी देश में कई बेटियां हैं जो सुरक्षित महसूस नहीं कर रही है।
ऐसे में युवतिओं और महिलाओं की सुरक्षा के लिए मैं अपनी लड़ाई आगे भी जारी रखूंगी। निर्भया की मां का कहना है कि निर्भया को लंबी लड़ाई के बाद न्याय मिला, लेकिन वो अब भी चुप नहीं बैठेंगी।
उन्होंने कहा कि मैं सभी बलात्कार पीड़िताओं को न्याय दिलाने के लिए लड़ती रहूंगी। सभी को मिलकर बलात्कार के खिलाफ आवाज उठाने की जरूरत है। आशा देवी ने कहा कि हमारा मामला स्पष्ट था और फिर भी न्याय पाने के लिए 8 साल लग गए। सरकार और न्यायालयों को यह सोचने की आवश्यकता है कि इसमें इतना समय क्यों लगा, और कानूनों में बदलाव करना चाहिए।
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इसी साल 20 मार्च को निर्भया के दोषियों को फांसी दे दी गई। तिहाड़ जेल में सुबह 5.30 मिनट पर निर्भया के चारों दोषियों मुकेश सिंह, विनय शर्मा, अक्षय कुमार सिंह और पवन गुप्ता को फांसी दे दी गई थी। इसके बाद जेल के निदेशक संदीप गोयल ने की जांच कर चारों को घोषित किया।
इसी साल 20 मार्च को निर्भया के दोषियों को फांसी दे दी गई। तिहाड़ जेल में सुबह 5.30 मिनट पर निर्भया के चारों दोषियों मुकेश सिंह, विनय शर्मा, अक्षय कुमार सिंह और पवन गुप्ता को फांसी दे दी गई थी। इसके बाद जेल के निदेशक संदीप गोयल ने की जांच कर चारों को घोषित किया।