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इस साल 2 सरकारी बैंक और एक बीमा कंपनी होंगे प्राइवेट, नीति आयोग ने सरकार को सौंपे नाम

locationनई दिल्लीPublished: Jun 04, 2021 09:52:21 am

Submitted by:

Shaitan Prajapat

सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग ने उन सरकारी बैंकों के नाम विनिवेश संबंधी सचिवों की कोर समिति को सौंप दी है, जिनका विनिवेश प्रक्रिया के तहत मौजूदा वित्त वर्ष में निजीकरण किया जाएगा। इसमें एक बीमा कंपनी का नाम भी शामिल है।

niti aayog

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नई दिल्ली। सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग (Niti Aayog) ने उन सरकारी बैंकों के नाम विनिवेश संबंधी सचिवों की कोर समिति को सौंप दी है, जिनका विनिवेश प्रक्रिया के तहत मौजूदा वित्त वर्ष में निजीकरण किया जाएगा। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी इसके बारे में जानकारी दी है। अधिकारी ने कहा कि हमने सचिवों की विनिवेश संबंधी कोर समिति को (सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम बैंकों के) नाम सौंप दिए हैं। इसमें एक बीमा कंपनी का नाम भी शामिल है। जिसका ऐलान वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में किया गया।

प्रधानमंत्री मोदी कैबिनेट देगी मंजूरी
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल फरवरी में पेश किए गए आम बजट भाषण में चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के 2 बैंक और एक एक बीमा कंपनी का निजीकरण करने का ऐलान किया था। उन्होंने बैंकों के नाम का चयन करने का जिम्मा नीति आयोग को दिया गया था। अब नीति आयोग ने बैंकों के नाम विनिवेश संबंधी सचिवों की कोर समिति को सौप दिए हैं। कैबिनेट सेक्रेटरी की अगुवाई वाली ये समिति अब इसको फाइनल करेगी। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट में इनके नाम पर मुहर लगेगी।

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कई बैंक के नाम की चर्चा
नीति आयोग के एक अधिकारी ने कहा कि हमारी तरफ से सचिवों की विनिवेश संबंधी कोर समिति को नाम भेज दिए गए है। हालांकि किन बैंकों का निजीकरण होगा ये नाम अभी तक सामने नहीं आए हैं। लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स में कई नाम की चर्चा हो रही है। इस लिस्ट में बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक के नामों की चर्चा हो रही है। खबरों के अनुसार, निजीकरण के लिए बैंक ऑफ महाराष्ट्र और इंडियन ओवरसीजन बैंक का नाम इस लिस्ट में सबसे पहले है। वहीं सरकारी इंश्योरेंस कंपनियों की लिस्ट में यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस, ओरिएंटल इंश्योरेंस के नाम सबसे ऊपर चल रहे है।

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कर्मचारियों का रखा जाएगा पूरा ध्यान
केंद्र सरकार ने बजट में दो सरकारी बैंकों और एक बीमा कंपनी सहित सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों एवं वित्तीय संस्थानों में अपनी हिस्सेदारी बेचकर 1.75 लाख करोड़ रुपये की राशि जुटाने का लक्ष्य रखा है। निजीकरण के पीछे के तर्क पर उन्होंने कहा कि देश में भारतीय स्टेट बैंक जैसे बड़े बैंकों की आवश्यकता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि जिन बैंकों का निजीकरण किया जा रहा है, उनके कर्मचारियों के हितों की पूरी तरह से सुरक्षा की जाएगी। सीतारमण ने कहा था कि बैंक कर्मचारियों के वेतन से लेकर पेंशन तक सभी का ध्यान रखा जाएगा।

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