
नई दिल्ली। नौ साल तक शारीरिक संबंधों के बिना चली शादी को बॉम्बे हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया। जिस मामले में कोर्ट ने यह फैसला दिया उसमें पत्नी ने पति पर धोखे से शादी करने का मुकदमा दर्ज करवाया था। मामला कोल्हापुर के एक दंपती का है जो शादी के दिन से ही एक-दूसरे से ही कानूनी लड़ाई लड़ रहा है। महिला ने शादी का विरोध करते हुए शुरू से ही इसे रद्द करने की याचिका लगा रखी थी।
यह है मामला
मामला 2009 से शुरू हुआ। उस समय महिला 21 साल की थी और पुरुष 24 साल का था। महिला के मुताबिक, उस शख्स ने कोरे कागज पर दस्तखत करवाकर धोखे से शादी कर ली थी। इसके बाद दोनों शादी के दिन से ही कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे। महिला इस शादी को मानने को तैयार नहीं थी। जब उसे धोखे का अहसास हुआ तो उसने रजिस्ट्रार को जानकारी दी। वह इसे कानूनी तौर पर रद्द करवाना चाहती थी। इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने उसकी बात मानते हुए रद्द करने को मंजूरी दे दी थी, लेकिन अपीलीय अदालत ने फैसला पति के पक्ष में पलट दिया। हालांकि हाईकोर्ट ने महिला के साक्षर होने की बात कही और धोखे की बात को खारिज कर दिया।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने ऐसे दिया फैसला
जस्टिस मृदुला भाटकर ने यह अहम फैसला सुनाते हुए कहा, 'हालांकि इस मामले में धोखे का कोई सबूत तो नहीं है। लेकिन दंपती के बीच शारीरिक संबंध का भी कोई सबूत नहीं है, जिसके आधार पर शादी रद्द की जा सकती है। शादी करने के सबसे अहम उद्देश्यों में नियमित शारीरिक संबंध भी शामिल हैं। यदि एक बार भी शारीरिक संबंध बनाए गए हो तो उसे शादी माना जा सकता है।' हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि विशेष विवाह अधिनियम में सिर्फ शादी को ना निभाए जा सकने के आधार पर रद्द करने का प्रावधान नहीं है। लेकिन शारीरिक संबंधों से रहित शादी को खारिज किया जा सकता है।
पति ने शारीरिक संबंध का दावा पेश किया, लेकिन सबूत नहीं
उन्होंने बताया कि इस मामले में दोनों पति-पत्नी एक दिन भी साथ नहीं रहे। महिला के पति ने शारीरिक संबंध बनाने का दावा करते हुए कहा था कि महिला गर्भवती भी हुई थी, लेकिन उसने गर्भपात करवा लिया। हालांकि इस संबंध में वह कोई सबूत पेश नहीं कर पाया, जिसके चलते कोर्ट ने उसके दावे को खारिज कर दिया।
Published on:
30 Apr 2018 10:11 am
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