
नोबेल विजेता मारियो जे मोलिना ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस पहलू को गंभीरता से नहीं लिया।
नई दिल्ली। रसायन विज्ञान में 1995 का नोबेल पुरस्कार विजेता मारियो जे मोलिना ( Nobel laureate MJ Molina ) समेत कई वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस महामारी के तीन केंद्रों चीन के वुहान, अमरीका में न्यूयॉर्क और इटली में इस संक्रमण की प्रवृत्ति और नियंत्रण के कदमों का आकलन करने के बाद कोविड-19 के फैलने के नए मार्गों का ऐलान किया है।
नोबेल विजेता मारियो जे मोलिना ने दावा किया है कि कोरोना वायरस के फैलने के लिए हवा प्रमुख जरिया ( Air channel ) हो सकता है। ताज्जुब की बात यह है कि इस बात को केंद्र में रखकर अभी तक किसी भी देश ने प्रयास नहीं किया है। यहां तक कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO ) ने भी इस पहलू को गंभीरता से नहीं लिया। यही वजह है कि पूरी दुनिया को कोरोना को नियंत्रित करने में सफलता नहीं मिली है।
मोलिना की टीम से जुडड़े शोधकर्ताओं ने चिंता जताई है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन लंबे समय से केवल संपर्क में आने से होने वाले संक्रमण को रोकने पर जोर देता रहा है। डब्लूएचओ ने कोरोना वायरस ( coronavirus ) के हवा के जरिए फैलने के तथ्य को नजरअंदाज करता रहा है।
साइंस मैगजीन पत्रिका पीएनएएस में प्रकाशित अध्ययन के आधार पर उन्होंने कहा कि हवा से होने वाला प्रसार अत्यधिक संक्रामक है और यह इस बीमारी के प्रसार का प्रमुख जरिया है। उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर नाक से सांस लेने से विषाणु ( Virus ) वाले एरोसोल सांस लेने के जरिए शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।
शोधकर्ताओं के मुताबिक अमरीका में लागू सामाजिक दूरी ( Social Distancing ) के नियम जैसे अन्य रोकथाम उपाय अपर्याप्त हैं। उन्होंने कहा कि हमारे अध्ययन से पता चलता है कि कोविड-19 वैश्विक महामारी ( Global Epidemic ) को रोकने में विश्व इसलिए नाकाम हुआ क्योंकि उसने हवा के जरिए विषाणु के फैलने की गंभीरता को पहचाना नहीं।
शोधकर्ताओं के इस दल ने निष्कर्ष निकाला है कि सार्वजनिक स्थानों पर चेहरे पर मास्क लगाकर बीमारी को फैलने से रोकने में काफी मदद मिल सकती है।
Updated on:
13 Jun 2020 04:04 pm
Published on:
13 Jun 2020 02:48 pm
बड़ी खबरें
View Allविविध भारत
ट्रेंडिंग
