अब से पहले अशोक चिन्ह लगाते थे ये राजनीतिज्ञ
आपको बता दें कि मौजूदा समय में जो नियम हैं उसके मुताबिक इन सभी पदों में पर तैनात शख्सियतों की गाड़ियों पर किसी तरह का रजिस्ट्रेशन नंबर लगाना अनिवार्य नहीं है। अब से पहले तक इन पदों पर बैठे हुए राजनीतिज्ञ अपनी गाड़ियों पर सिर्फ राष्ट्रीय अशोक चिन्ह को लगाते रहे है। लेकिन अब इन सभी को भी अदालत के आदेश के बाद नंबर लगाना अनिवार्य हो गया है। उन्हें अपनी गाड़ियों का पंजीकरण कराना होगा।
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक हलफनामें की सुनवाई करते हुए दिया यह फैसला
आपको बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने एक हलफनामें की सुनवाई करते हुए यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। इससे पहले रोड़ ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे मिनिस्ट्री ने दिल्ली हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी हरि शंकर की बेंच के समक्ष अपने हलफनामे में सभी की गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए पत्र लिखा था। अब इसी हलफनामें की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने सभी संवैधानिक पदों की गाड़ियों पर रजिस्ट्रेशन का निर्देश दे दिया है। अपने आदेश में कोर्ट ने कहा है कि सभी संवैधानिक पदों के नेता अपनी गाड़ियों का पंजीकरण कराकर नेम प्लेट को लगाएं। बता दें कि हाईकोर्ट ने यह फैसला देश के बड़े ओहदे पर बैठे राजनीतिज्ञों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सुनाया है। अदालत का मानना है कि बिना नंबर प्लेट वाली गाड़ियों को आतंकी निशाना बनाते हैं और इस तरह की गांड़ियां पर आतंकियों की निगाहें टिकी रहती है। अदालत ने कहा है कि ऐसे मौके कई बार आते हैं जब कभी किसी तरह की दुर्घटना में भी गाड़ी का नंबर न होने से पहचान करना मुश्किल होता है।
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इससे पहले लाल बत्ती को हटाया गया था
बता दें कि मोदी सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए गाड़ियों से लाल बत्ती हटाने का निर्णय लिया था। इसके बाद से हर किसी की गाड़ी से लाल बत्ती को हटा दिया गया। मोदी सरकार का मानना था कि इससे वीआईपी कल्चर को बढ़ावा मिलता है। इसलिए समाज में बराबरी लाने और वीआईपी कल्चर को खत्म करने के लिए नेचाओं ओर अधिकारियों की गाड़ियों से लाल बत्ती को हटाने का निर्णय लिया गया।