
नरेन्द्र मोदी
अहमदाबाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को गुजरात पहुंचे, जहां उन्होंने आणंद स्थित अमूल चॉकलेट प्लांट सहित कई संयंत्रों, सेंटर, मंडली का उद्घाटन और भूमि पूजन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि पोषण के क्षेत्र में देश में बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमारे यहां यदि मां और बच्चा स्वस्थ होंगे तो भारत कभी बीमार नहीं पर सकता।
उन्होंने चरोतर के 11 किसानों के सौर ऊर्जा सहकारिता आंदोलन की भी खूब सराहना की। उन्होंने कहा फिलहाल खेत में फसल पैदा होती है और अब खेत में बिजली भी पैदा होती है। उन्होंने केंद्र सरकार की 3 योजनाओं, जनधन, वनधन और गोवर्धन का हवाला देते हुए कहा कि आने वाले दिनों में अमूल को अपना मार्गदर्शन देते रहना होगा। गोवर्धन योजना को सच्चे अर्थों में अमलीकरण करने से क्लीन एनर्जी मिलेगी। देश को विदेशों से कई चीजें लानी पड़ती है, वह नहीं लाना पड़ेगा। 2 वर्ष बाद अमूल को 75 वर्ष हो जाएंगे वहीं 2022 में भारत की आजादी को 75 वर्ष हो जाएंगे।
अमूल वैकल्पिक अर्थव्यवस्था का मॉडल
पीएम मोदी ने कहा कि अमूल अब एक वैकल्पिक अर्थव्यवस्था का मॉडल भी है। पहले जमाने में जब एक तरफ समाजवादी अर्थव्यवस्था थी, दूसरी तरफ पूंजीवादी अर्थव्यवस्था थी। एक तरफ जहां शासन करने वाले कर्ज की अर्थव्यवस्था थी और दूसरी तरफ धन्ना सेठों के कर्ज वाली अर्थव्यवस्था थी।
ऐसे में सरदार पटेल जैसे कुछ महापुरुषों ने सहकारिता का बीज बोया और तीसरी अर्थव्यवस्था का विकास किया, जहां न सरकार और न धन्ना सेठों की बल्कि किसानों, नागरिकों और आम लोगों की अर्थव्यवस्था पनपेगी और बढ़ेगी। इस अर्थव्यवस्था में हर कोई उसका भागीदार होगा। यह ऐसी अर्थव्यवस्था है जो समाजवाद और पूंजीवाद का विकल्प प्रदान करता है। आज गुजरात की सहकारिता को लोग एक मॉडल के रूप में देखते हैं।
पूर्ववती सरकारों पर टिप्पणी
उन्होंने पूर्ववती सरकारों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि गांधीनगर में तब कुछ ऐसे लोग बैठे थे जिन्होंने इस सहकारिता आंदोलन को रुकावट पैदा करने वाले नियम बनाए। इससे कुछ कच्छ और सौराष्ट्र में डेयरी बनाना मुश्किल हो गया था। आज ऐसा नहीं है। आज सभी जिलों में यह डेयरी पशुपालकों और किसानों के लिए आय का एक बड़ा अवसर बन गया है।
ऊंटनी के दूध को लेकर उड़ाया जाता था मजाक
मोदी ने कहा कि उन्हें याद है कि जब वे कच्छ में कच्छ के सफेद रेगिस्तान पर रण उत्सव का आरंभ कर रहे थे, तब ऊंटनी के दूध की बात को लेकर उनका मजाक उड़ाया जाता था। आज अमूल के ऊंटनी के दूध की चॉकलेट की बहुत बड़ी मांग है। गाय के दूध से ऊंटनी के दूध की कीमत दोगुनी है। उन्होंने अपने विरोधियों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कुछ लोग खुद को ज्ञानी मानते हैं और जब कभी उनके पास उनके दायरे के बाहर चीजें चली जाती है तो वे अहंकार करने लगते हैं और मखौल, मजाक उड़ाना पसंद करते हैं। ऐसी स्थिति ऊंटनी के दूध के साथ हुई थी, लेकिन उन्हें खुशी है कि इतने सालों के बाद अमूल ने उनके सपने को साकार किया है।
कभी नहीं रुकने का नाम है अमूल
प्रधानमंत्री ने कहा कि कभी रुकने का नाम नहीं लेने का नाम है अमूल। अमूल का मतलब नई सोच, नया करना। यह अमूल के स्वभाव में है। क्या अमूल अपने 75 वर्ष पूरे होने को लेकर नए लक्ष्य तय कर सकता है। हमारे पास अभी कुछ समय है जिसमें हम ऐसे लक्ष्य करके देश को और दुनिया को कुछ नई चीजें दे सकते हैं। मिल्क प्रोसेसिंग में भारत आज 10 नंबर पर है। हमें यह लक्ष्य तय करना चाहिए कि हम कुछ वर्षों में नंबर 3 तक पहुंच जाएं।
एक समय था जब हम अभाव के प्रभाव में जीते थे। अभाव की समस्याओं से जूझते थे। तब शासन करने के तरीके अलग होते थे, लेकिन आज हमारे लिए अभाव का नहीं बल्कि विपुलता की चुनौती है। इतनी बड़ी मात्रा में किसानों की उपज की पैदावार होती है लेकिन किसानों के पैदावार का बाजार गिर जाता है। इसलिए हमें वैल्यू एडिशन करना होगा। हमारे हर कृषि उत्पाद में ज्यादा ताकत है।
Updated on:
30 Sept 2018 03:46 pm
Published on:
30 Sept 2018 03:44 pm
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