
उच्च न्यायालय ने सभी शिक्षकों को नियमित वेतन का हकदार बताया।
नई दिल्ली। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर स्थित निजी स्कूलों को निर्देश दिया है कि वह केवल तभी ट्यूशन फी ले सकते हैं, जब उन्होंने लॉकडाउन अवधि के दौरान नियमित आधार पर ऑनलाइन कक्षाओं की सुविधा छात्रों को मुहैया कराई हो। इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने स्कूल के प्रबंधन को 14 दिनों के भीतर 7 महीनों का बैलेंस शीट दाखिल करने का निर्देश दिया है।
जस्टिस राजीव शर्मा और हरिंदर सिंह सिद्धू की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि हम यह निर्देश देते हैं कि छात्रों से दिन-प्रतिदिन के आधार पर ऑनलाइन कक्षाओं की पेशकश करने पर ही ट्यूशन शुल्क लिया जाएगा।
पंजाब और हरियाण सरकार ने फैसले को दी थी चुनौती
इससे पहले उच्च न्यायालय ने 30 जून को पंजाब के लिए पारित आदेश को 27 जुलाई को हरियाणा के लिए भी लागू कर दिया था। जून में उच्च न्यायालय ने सभी निजी स्कूलों को छात्रों से प्रवेश और ट्यूशन शुल्क जमा करने की अनुमति दी थी। चाहे वे ऑनलाइन कक्षाएं पढ़ रहे हों या नहीं। इसके साथ ही स्कूलों को ट्रांसपोर्ट फी सहित केवल वास्तविक व्यय की वसूली की अनुमति दी थी।
सभी शिक्षक नियमित वेतन के हकदार
पंजाब और हरियाणा सरकार ने तब दो अलग-अलग एकल पीठों द्वारा पारित निर्णय को चुनौती दी थी। पंजाब सरकार ने गुरुवार को महाधिवक्ता अतुल नंदा का प्रतिनिधित्व किया, जबकि अतिरिक्त महाधिवक्ता दीपक बाल्यान ने हरियाणा सरकार का प्रतिनिधित्व किया। दोनों तरफ से तर्कों की सुनवाई के बाद पीठ ने कहा कि यह एक ऐसा मामला है जहां क्विड प्रो क्वो का सिद्धांत लागू होगा।
उच्च न्यायालय ने आदेश में यह भी कहा कि सभी शिक्षक और कर्मचारी सदस्य, चाहे वे स्थायी या गैर-स्थायी हों, वे अपने नियमित वेतन के हकदार होंगे, जो उन्हें लॉकडाउन शुरू होने से पहले मिल रहा था।
ट्रांसपोर्ट फी पर रोक
अपने नए आदेश में उच्च न्यायालय ने निजी स्कूलों को किसी भी परिवहन शुल्क को इकट्ठा करने से रोक दिया। आदेश में बताया गया है कि चूंकि छात्रों को लॉकडाउन के कारण स्कूल बंद है इसलिए निजी स्कूलों के प्रबंधक आगामी आदेश तक परिवहन शुल्क नहीं ले सकते।
हाईकोर्ट की पीठ ने स्कूल के प्रबंधन को निर्देश दिया कि वे अदालत में सामने स्कूल का बैलेंस प्रस्तुत करें। अदालत के सामने बैलेंस शीट प्रस्तुत करने से पहले एक चार्टर्ड एकाउंटेंट द्वारा सत्यापित करवाएं।
फी न बढ़ाने का आदेश
बता दें कि निजी स्कूलों द्वारा कोरोना काल में छात्रों से सभी तरह के स्कूल फी लिए जाने के खिलाफ पंजाब और हरियाणा की सरकारों ने अलग-अलग आदेश पारित किए। पंजाब के मामले में पीठ ने स्कूलों को लॉकडाउन अवधि के लिए अन्य शुल्क जमा करने की अनुमति दी थी, लेकिन उन्हें चल रहे शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए शुल्क बढ़ाने से रोक दिया था और उन्हें पहले की तरह ही शुल्क संरचना को अपनाने का आदेश दिया था साल।
हरियाणा सरकार ने लॉकडाउन अवधि के लिए निजी स्कूलों को स्कूली बच्चों से बढ़ी हुई फीस और अन्य धन इकट्ठा करने से रोकने के लिए एक अधिसूचना जारी की थी। सरकार ने स्कूलों से यह भी कहा था कि वे केवल उन लोगों से ही मासिक ट्यूशन फीस वसूलें जो भुगतान करने में सक्षम हों, और कोविद -19 स्थिति के मद्देनजर फंड, रखरखाव निधि, प्रवेश शुल्क और कंप्यूटर शुल्क जैसे अन्य शुल्कों की मांग न करें।
Updated on:
02 Oct 2020 09:26 am
Published on:
02 Oct 2020 09:21 am
बड़ी खबरें
View Allविविध भारत
ट्रेंडिंग
