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COVID-19: कोरोना से जंग में जुटे राजस्थान के कर्मवीर, सफदरजंग में संभाला मोर्चा

- हालात विपरीत अवश्य लेकिन हौंसले बुलंद- परिवार सामने लेकिन बाहर से लौटना बना मजबूरी

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COVID-19: कोरोना से जंग में जुटे राजस्थान के कर्मवीर, सफदरजंग में संभाला मोर्चा

COVID-19: कोरोना से जंग में जुटे राजस्थान के कर्मवीर, सफदरजंग में संभाला मोर्चा

विवेक श्रीवास्तव

नई दिल्ली। कोरोना से संक्रमित रोगियों ( Corona-infected patients ) के प्रमुख अस्पताल सफदरजंग ( Safdarjung hospital ) में राजस्थान के कई कर्मवीर भी अहम भूमिका निभा रहे है। प्रदेश के अलग अलग क्षेत्र के रहने वाले इन कर्मवीरों ने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद सफदरजंग में मोर्चा संभाला हुआ है। इनमें शामिल है बाड़मेर के रहने वाले नर्सिंग ऑफिसर भाखर सेजू, नागौर के रहने वाले रामवतार, हनुमानगढ़ के पवन कुमार, सवाईमाधोपुर के महेंद्र मीणा, करौली के नरेंद्र मीणा शामिल है।

कोरोना के कर्मवीर सफदरजंग अस्पताल में अपनी जिंदगी को दांव पर लगाकर सेवा में लगे है। हालांकि कोरोना के मरीजों के इलाज के चलते उनकी दिनचर्या अवश्य बदल गई है।

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अस्पताल की ओर से कोरोना वार्ड में कार्यरत कर्मचारियों के रहने के लिए मोतीबाग में होटल की व्यवस्था की गई है। साथ ही परिवार से दूर रहने के सा निर्देश दिए गए है।

यहां कर्मचारियों के स्वास्थ्य का भी पूरा ख्याल रखा जा रहा है 7-7 दिन की शिफ्ट के बाद प्रत्येक कर्मचारी को 14 दिन रेस्ट दी जा रही है।

इस दौरान उन्हें होम क्वारनटाइन रहने के निर्देश दिए गए है। अस्पताल प्रशासन की ओर से मोतीबाग के होटल में रहने की व्यवस्था की गई है।

अस्पताल की ओर से परिवार से बिल्कुल दूर रहने की हिदायत दी गई है, इन दिनों वीडियो कॉल ही एकमात्र सहारा इन कोरोना कर्मवीरों के पास बचा है। सभी जुनून के साथ कोरोना मरीजों के इलाज में लगे है।

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रामवतार
जीवन में कभी सोचा नहीं था कि ऐसे दिन आएंगे, पत्ïनी और बच्चे दिल्ïली में ही है लेकिन घर पर जा नहीं पा रहा हूं। हफ्ते में दो दिन घर में आवश्यक सामान देने जाता हूं और बाहर से ही लौटना पड़ता है।

बहुत मन करता है बच्चे को गोदी में खिलाऊं परन्तु सभी इच्छाओं को मार दिया है।

कोरोना मरीजों के उपचार में शामिल होने के चलते मोतीबाग में रह रहा हूं लेकिन खुश हूं कि इस लड़ाई में एक सैनिक की भूमिका निभा रहा हूं।

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भाखर सेजू
-बाड़मेर जिले के छोटे से गांव पचपदरा में परिवार है, हर दिन मां फोन पर चिंता जाहिर करती है और कहती है टीवी पर खबरें देखकर नींद नहीं आती है लेकिन मां को हर शाम फोन कर समझाता हूं कि यह टीवी वाले तो खबरों को बढ़ा चढ़ाकर दिखाते है।

परिवार के अन्य सदस्यों को तो समझा देता हूं लेकिन मां के सामने कई बार निरुत्तर हो जाता हूं। हालांकि मां को यह समझ आ गया कि देश आज स्वास्थ्यकर्मियों का सम्मान कर रहा है चाहे वो थाली बजाकर हो या दीप जलाकर।

हर दिन एक शब्द ही कानों में गूंजता है अपना ध्यान रखना, मैं अपना हरसम्भव प्रयास कर रहा हूं कि खुद के साथ मरीज का भी ख्याल रख सकू।

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