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सबरीमला मंदिर: SC के फैसले से नाराज भगवान अयप्पा के भक्‍तों का चेन्‍नई में प्रदर्शन, पुनर्विचार की मांग

सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर में 10 से 50 आयु वर्ग की सभी महिलाओं को प्रवेश की इजाजत दी थी।

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Dhirendra Kumar Mishra

Oct 14, 2018

sabrimala

सबरीमला मंदिर: SC के फैसले से नाराज भगवान अयप्पा के भक्‍तों का चेन्‍नई में प्रदर्शन, पुनर्विचार की मांग

नई दिल्‍ली। सबरीमला मंदिर में महिलाओं के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ भगवान अयप्‍पा के भक्‍तों का विरोध प्रदर्शन थम नहीं रहा है। रविवार को भी चेन्‍नई में भारी संख्‍या में लोगों ने इस फैसले के खिलाफ प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर पुनर्विचार करे और पहले की स्थिति को बहाल करे। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व प्रधान न्‍यायाधीश दीपक मिश्रा की बेंच ने सबरीमला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दी थी। हालांकि बेंच में शामिल एकमात्र महिला न्‍यायाधीश इंदू मल्‍होत्रा ने बेंच के फैसले से असहमति जाहिर की थी। उन्‍होंने कहा था कि यह आस्‍था और परंपरा का सवाल है इसलिए अदालत को इसमें दखल देने की जरूरत नहीं है। बता दें सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर में 10 से 50 आयुवर्ग की सभी महिलाओं को प्रवेश की इजाजत दी थी।

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अयप्‍पानामा जाप यात्रा
हाल ही में केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की इजाजत दिए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ भगवान अयप्पा के भक्तों ने प्रदर्शन किया। दिल्ली और तमिलनाडु के चेन्नई में किए गए इन प्रदर्शनों में महिलाओं ने भी हिस्सा लिया। भक्तों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर जहां अयप्पा नामा जाप यात्रा निकाली वहीं, चेन्नई में कोडम्बक्कम हाई रोड से महालिंगपुर श्री अयप्पा मंदिर तक विरोध मार्च निकाला था। दोनों महानगरों में भारी संख्‍या में अयप्‍पा के भक्‍त शामिल हुए थे। इससे पहले केरल में भी इस बात को लेकर प्रदर्शन हो चुका है। इस प्रदर्शन में महिलाएं भी शामिल हुईं थीं। केरल के एक रॉयल फैमिली ने भी फैसले का विरोध किया है।

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संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन
आपको बता दूं कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सबरीमाला मंदिर में सैकड़ों वर्षों से चली आ रही महिलाओं के प्रवेश पर रोक हटा दी था। कोर्ट के के इस फैसले के बाद 10 से 50 आयुवर्ग की सभी महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने की इजाजत मिल गई। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि महिलाओं को मंदिर में प्रवेश न मिलना उनके मौलिक और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।

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