
सबरीमला मंदिर में स्त्रियों के प्रवेश करने के हक में नहीं स्मृति ईरानी, कहा- पूजा करने का अधिकार है दूषित करने का नहींं
नई दिल्ली। सबरीमला मंदिर मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का 'अपवित्र वाला बयान' सोशल मीडिया पर ट्रोल हो रहा है। बयान पर विवाद बढ़ने के बाद स्मृति ईरानी ने सफाई दी, साथ ही खबरों को फेक न्यूज भी बताया। स्मृति ईरानी ने इस बाबत एक के बाद एक पांच ट्वीट किए। केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने लिखा, ' मेरी टिप्पणी पर कई लोग बातें कर रहे हैं, मुझे भी अपने कमेंट पर कमेंट करने दीजिए। एक हिंदू होते हुए मैंने एक पारसी से शादी की लेकिन मुझे पूजा के लिए अग्नि मंदिर में जाने की अनुमति नहीं है। मैं पारसी समुदाय/पुजारी की इस आस्था का सम्मान करती हूं। दो पारसी बच्चों की मां होने के नाते वहां पूजा करने के अधिकार के लिए किसी अदालत में नहीं गई। इसी तरह मासिक धर्म वाली पारसी या गैरपारसी महिलाएं किसी भी अग्नि मंदिर में प्रवेश नहीं करती हैं।' उन्होंने कहा, 'ये दो तथ्यात्मक बयान हैं।' बाकी मुझे फंसाने के लिए प्रोपेगंडा/एंजेडा है। खून से सने सेनेटरी पैड की बात पर उन्होंने लिखा, 'जहां तक एक दोस्त के घर खून से सने पैड को ले जाने के मेरे बयान पर हमला बोलने का सवाल है तो मुझे अब तक कोई ऐसा शख्स नहीं मिला है, जो ऐसा करता हो।' स्मृति ईरानी ने अपने आखिरी और पांचवें ट्वीट में कहा, 'लेकिन मुझे चकित करने की जगह मुझे इस पर हंसी आती है कि एक महिला के तौर पर मुझे अपनी राय रखने की अनुमति नहीं है और 'उदारवादी' दृष्टिकोण की बात है तो मैं स्वीकार्य हूं। यह कितना उदारवादी है?'
इस बयान पर मचा बवाल
मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान स्मृति ईरानी ने अपनी राय रखी। उनकी राय से लग रहा है कि वह इस मुद्दे पर स्त्रियों के मंदिर में प्रवेश करने के फैसले से सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा, " प्रार्थना करना मेरा अधिकार है, लेकिन दूषित करने का हक नहीं हैं। इस बात का सम्मान करना चाहिए। कैबिनेट मंत्री के तौर पर मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बोलने वाली कोई नहीं हूं। साथ ही उन्होंने सवाल पूछने के लहजे में कहा कि क्या तुम अपने दोस्त के घर में मासिक धर्म के खून में सने सेनेटरी नेपकिन्स लेकर जाओगो? तो क्यों तुम उन्हें भगवान के घर में ले जाओगे?
Published on:
23 Oct 2018 09:07 pm
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