
SC reprimands Center on Covid vaccine management, said - price of COVID-19 vaccines should be uniform across country
नई दिल्ली। कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच देशभर में तेजी के साथ कोरोना टीकाकरण करने पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन वैक्सीन की कमी की वजह से समस्याएं आ रही हैं। हालांकि, केंद्र सरकार वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाने और विदेशों से आयात करने को लेकर प्रयास कर रही है। लेकिन विपक्ष सरकार के वैक्सीन प्रबंधन को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।
इस बीच देश की सर्वोच्च अदालत ने भी केद्र सरकार के वैक्सीन प्रबंधन को लेकर सवाल खड़ा किया है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार से कोविड -19 टीकों की खरीद के लिए अपनी दोहरी नीति पर सवाल उठाया और कहा कि पूरे देश में टीकों के लिए एक कीमत होनी चाहिए।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, एल नागेश्वर राव और रवींद्र भट की बेंच ने देश भर में COVID टीकों के लिए एक समान मूल्य निर्धारण नीति अपनाने का आह्वान किया। कोर्ट ने कहा "केंद्र का कहना है कि उसे कम कीमत पर टीके मिलते हैं क्योंकि वह थोक में खरीदता है, अगर यह तर्क है तो राज्यों की कीमत अधिक क्यों है? पूरे देश में टीकों के लिए एक कीमत होनी चाहिए। पिछले दो महीनों में महामारी काफी बढ़ी है।"
शीर्ष अदालत से पूछा "इस मामले में यदि टीकों की खरीद करना उद्देश्य है, तो केंद्र केवल 45 वर्ष की आयु के बाद के लोगों तक ही सीमित क्यों है और 45 वर्ष की आयु से पहले वालों के लिए व्यवस्था करने को लेकर पूरी तरह से राज्य पर क्यों छोड़ दिया गया है? हम हाशिए पर और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को कैसे देखते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 45 साल से ऊपर आयु वालों के लिए राज्यों को केंद्र सरकार वैक्सीन भेजती है। लेकिन 45 साल से कम आयु वालों को वैक्सीन लगाने की जिम्मेदारी राज्यों की अपनी है। आप इसे कैसे सही ठहराते हैं?
डिजिटल डिवाइड पर सरकार से कोर्ट ने पूछा तीखे सवाल
SC ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से CoWIN ऐप पर 18+ तक वैक्सीन के लिए अनिवार्य पंजीकरण के बारे में भी पूछा। इसपर सॉलिसिटर जनरल ने बेंच से कहा, "अगर किसी ग्रामीण के पास मोबाइल नहीं है तो वह एक टीकाकरण सेंटर में जाकर पंजीकरण करा सकता है।"
कोर्ट ने पूछा "आप डिजिटल डिवाइड का जवाब कैसे दे रहे हैं? आप यह कैसे सुनिश्चित कर रहे हैं कि प्रवासी कामगारों का टीकाकरण हो सके?" तुषार मेहता ने कहा, "डिजिटल के अलावा अन्य तरीके प्रदान करने के संबंध में CoWIN डिजिटल पोर्टल 4 व्यक्तियों के पंजीकरण की अनुमति देता है और ग्राम पंचायतों के पास इंटरनेट के लिए बुनियादी ढांचे के लिए कई सेंटर हैं। जिन लोगों की पहुंच इंटरनेट तक नहीं है तो वे अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से भी मदद ले सकता है। ऑनलाइन पंजीकरण का निर्णय लिया गया है क्योंकि टीके असीमित नहीं हैं और अगर वॉक-इन की अनुमति दी जाती है तो भीड़ होगी। हालांकि, अब वैक्सीन की उपलब्धता के तहत वॉक-इन की अनुमति दी गई है।"
ग्रामीण इलाकों में टीकाकरण व्यवस्था पर कोर्ट ने पूछे सवाल
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में आज भी डिजिटल साक्षरता नहीं है। उन्होंने कहा, "मैं ई-समिति का अध्यक्ष हूं और हम देखते हैं कि यह कैसा है।" इस पर तुषार मेहता ने कहा, "यह अब लचीला है और हमने अब कार्यस्थल टीकाकरण की अनुमति दी है। व्यक्तिगत रूप से घर-घर टीकाकरण संभव नहीं था, लेकिन हम इसे आरडब्ल्यूए के माध्यम से और एम्बुलेंस के साथ कर रहे हैं।"
मामले में अदालत की मदद कर रहे न्याय मित्र जयदीप गुप्ता ने कहा कि नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। वॉक-इन हमेशा 45 प्लस के लिए होता था, 18 प्लस के लिए CoWIN पंजीकरण अनिवार्य है। न्यायमूर्ति भट ने कहा कि उन्हें कोच्चि, बैंगलोर आदि जैसे देश भर से संकटपूर्ण कॉल आ रहे हैं कि दो मिनट के भीतर सभी स्लॉट बुक हो गए हैं।
जस्टिस एल नागेश्वर राव ने कहा कि जमीनी हकीकत बिल्कुल साफ है। 75 प्रतिशत टीकाकरण शहरी क्षेत्रों में है और इस चिंता को दूर करने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी नीति ऐसी है कि यह पूरी तरह से ग्रामीण क्षेत्रों में लागू नहीं हो पाया है। नीति में संशोधन होने दें। आपके पास एक ऐसी नीति होनी चाहिए जो नए मुद्दों का ध्यान रखे ताकि राज्यों को निर्देशित किया जा सके।
वैक्सीन, दवा, ऑक्सीजन आपूर्ति पर कोर्ट ने कही ये बड़ी बात
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा "अगर हम कुछ गलत के लिए सहमत होते हैं, तो यह कमजोरी नहीं बल्कि ताकत का संकेत है। सुनवाई का उद्देश्य संवादात्मक रहा है, हम नीति नहीं बनाने जा रहे हैं और हितधारकों को बातचीत में शामिल नहीं कर रहे हैं। राष्ट्र को मजबूत किया जाता है। तथ्य यह है कि विदेश मंत्री ने यूएसए की यात्रा की और हितधारकों से बात की, यह दर्शाता है कि आप कितने गंभीर हैं।" इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि इससे पहले प्रधानमंत्री ने सभी राष्ट्राध्यक्षों से बात की थी।
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि कल उन्होंने एक समाचार रिपोर्ट देखी जिसमें दिखाया गया कि शवों को नदी में फेंका जा रहा था। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, "मुझे नहीं पता कि तस्वीर प्रकाशित करने के लिए समाचार चैनल के खिलाफ देशद्रोह की शिकायत दर्ज की गई है या नहीं...।"
देश में COVID-19 महामारी के संबंध में ऑक्सीजन आपूर्ति, दवा आपूर्ति और वैक्सीन नीति से संबंधित मुद्दों पर उसके द्वारा शुरू की गई स्वत: संज्ञान कार्यवाही की सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि वह आज ही एक छोटा आदेश पारित करेगी।
Updated on:
31 May 2021 08:38 pm
Published on:
31 May 2021 08:16 pm
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