
लॉकडाउन के बीच पत्रकारों को नौकरी से हटाने के खिलाफ PIL पर केंद्र से जवाब तलब
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ( Supreme court ) ने सोमवार को उन सभी मीडिया संगठनों ( Media organizations ) के विरुद्ध एक नोटिस जारी किया, जिन्होंने राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन ( Lockdown ) के बीच अपने कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया है या फिर वेतन में कटौती की है।
न्यायमूर्ति एन.वी. रमना, न्यायमर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति बी.आर.गवई की पीठ ने कहा कि अगर व्यापार शुरू नहीं होता है तो लोग कितने दिन बिना नौकरी के रह पाएंगे?
साथ ही पीठ ने राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बीच कर्मचारियों को नौकरी से हटाने पर चिंता जाहिर की और कहा कि इस मामले पर विचार किए जाने की जरूरत है।
वरिष्ठ वकील कोलिन गोंसाल्वेस ने पीठ के समक्ष कहा कि कई मीडिया संस्थानों में कई पत्रकारों की नौकरियां चली गई हैं।
इसपर कोर्ट ने कहा कि कुछ गंभीर मुद्दों को उठाया गया है और इसपर सुनवाई की जरूरत है, क्योंकि अन्य यूनियन भी इसी तरह के मामले उठा रहे हैं।
शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी नेशनल अलायंस ऑफ जर्नलिस्ट्स, दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स और बृहन्मुंबई यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स की संयुक्त याचिका पर की।
आईएएनएस के अनुसार याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि मीडिया सेक्टर के नियोक्ता मनमाना रवैया अपना रहे हैं और केंद्रीय श्रम व रोजगार मंत्रालय द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देशों पर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं और यहां तक कि प्रधानमंत्री की अपील पर भी ध्यान नहीं दे रहे हैं।
पीठ ने आदेश दिया कि याचिका की एक प्रति केंद्र को भेजा जाए और उससे दो हफ्ते के अंदर इसपर जवाब दाखिल करने को कहा जाए।
याचिका के अनुसार, "इस तथ्य के बावजूद कि सरकार ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को खासकर काम करने की इजाजत दे रखी है और प्रधानमंत्री ने अपील की है और सरकार ने एडवायजरी जारी की है कि कर्मचारियों की न तो सेवा समाप्त की जाए और न वेतन कटौती की जाए, इसके बावजूद न्यूजपेपर और मीडिया सेक्टर के कई नियोक्ताओं ने सेवाएं समाप्त करने, वेतन कटौती और कर्मचारियों को जबरन अवैतनिक छुट्टी पर भेजने का एकतरफा निर्णय लिया है।"
Updated on:
27 Apr 2020 11:06 pm
Published on:
27 Apr 2020 09:37 pm
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