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नई दिल्ली। 26 अप्रैल को आकाशमंडल एक अद्भुत और विचित्र घटना का गवाह बनेगा। इस दिन चांद का रंग बदलता हुआ दिखाई देगा। क्योंकि इस घड़ी चांद सूरज के बेहद नजदीक आ जाता है, इसलिए इसको सुपर पिंक मून ( Super pink moon ) भी कहा जाता है। हालांकि यह चांद के पृथ्वी के ज्यादा पास आने की वजह से होता है।
जानिए क्यों कहते हैं पिंक मून?
दरअसल, पिंक मून के नाम पर मत जाइए। इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं कि चांद गुलाब के फूल की तरह दिखाई देगा। पिंक मून इसका नाम एक गुलाबी से पड़ा है। यह फूल बसंत के मौसम में नॉर्थ अमरीका में खिलता है। यहां हम आपको बता दें कि फुलमूल यानी पूर्णिमा की प्रक्रिया काफी हद तक अमरीकी क्षेत्रों और मौसमों पर निर्भर करती है। हालांकि धार्मिक आधार पर देखा जाए तो अप्रैल के पूर्णिमा के चांद को ही पिंक मून कहा जाता है। क्योंकि इस बार यह पूर्णिमा के दिन दिखाई देगा, इसलिए इसको सुपर पिंक मून कहा जाता है।
किसको कहते हैं सुपरमून
सुपरमून के समय चांद अपेक्षाकृत ज्यादा बड़ा और चमकदार दिखाई देगा इसलिए इसको सुपरमून कहा गया है। चांद के बारे स्टडी करने या फिर इसका रहस्य जानने का पता लगाने वालों के लिए सबसे बेहतर अवसर है। अन्य दिनों के मुकाबले चांद सुपरमून के 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत ज्यादा चमकीला दिखाइ देता है। वेस्टर्न कंट्रीज में इसको स्नो मून, स्ट्रोम मून और हंगर मून भी कहा जाता है।
चांद के बारे मेंकुछ रोचक तथ्य
-चंद्रमा की वजह से आकाश नीला नहीं, बल्कि कालला दिखाई देता है। इसकी वजह इसके द्वारा प्रकाश का प्रकीर्णन करना है।
-चंद्रमा वायुमंडल रहित है
- यह सौर मंडल का पांचवां प्राकृतिक गृह है
-चांद पर पृथ्वी की तुलना में गुरुत्वाकर्षण्ण कम है
-चंद्रमा उपग्रह है, यह पृथ्वी के चारों और चक्कर लगाता है
Updated on:
24 Apr 2021 10:15 pm
Published on:
24 Apr 2021 10:09 pm
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