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रिसर्च में हुआ बड़ा खुलासा, केवल कुछ कोरोना पीड़ित ही फैला रहे हैं संक्रमण

85000 लोगों पर हुई एक रिसर्च में सामने आया कि लगभग 70 फीसदी कोरोना पीड़ितों से दूसरों को खतरा नहीं है।लगभग दस फीसदी लोग ऐसे हैं जिनमें बीमारी के लक्षण दिखाई नहीं दे रहे परन्तु वे दूसरों में संक्रमण फैला रहे हैं।

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Sunil Sharma

Oct 02, 2020

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covid-19

हाल ही साइंस पत्रिका में प्रकाशित एक शोध पेपर के अनुसार भारत में मिले कोरोना संक्रमितों में से 71 प्रतिशत मरीज ऐसे थे जिन्होंने किसी दूसरे को कोरोना संक्रमण नहीं दिया। इस शोध में आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु में लगभग 85,000 लोगों को शामिल किया गया था। रिसर्च के अनुसार इनमें से 60,000 संक्रमित ऐसे थे जो दूसरों में बीमारी फैलाने में सक्षम नहीं थे।

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केवल 10 फीसदी लोग ही फैला रहे हैं कोरोना संक्रमण
रिसर्च के अनुसार कोरोना संक्रमित लोगों का एक बहुत छोटा समूह (लगभग 10 प्रतिशत) है जिन्होंने कोरोना के फैलने में सर्वाधिक योगदान दिया। इनमें से भी कुछ लोग ऐसे थे जिनमें संक्रमण के किसी भी प्रकार के लक्षण नहीं दिखाई दिए परन्तु वे दूसरों को संक्रमित कर रहे थे और यही लोग कोरोना के फैलने के लिए भी जिम्मेदार हैं।

80:20 नियम है महत्वपूर्ण
बॉयोलॉजी के प्रोफेसर गौतम मेनन ने बताया कि इस रिसर्च से मिले नतीजों में आश्चर्यजनक जैसा कुछ भी नहीं है। वास्तव में यह तथ्य है तथा कई अन्य संक्रामक रोगों में भी ऐसा सिद्ध हो चुका है। मेनन ने बताया कि इसे 80:20 नियम कहा जाता है। सभी संक्रमितों में से लगभग 20 प्रतिशत संक्रमित लोग ही बाकी 80 प्रतिशत संक्रमितों को बीमार करने के जिम्मेदार होते हैं। उन्होंने कहा कि इस रिसर्च से पता चलता है कि यह नियम भारत में कोरोना के फैलाव पर भी लागू होता है।

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अनजाने में बनते हैं बीमारी के वाहक
शोधकर्ताओं के अनुसार इसके पीछे एक कारण यह भी हो सकता है कि जिन लोगों में बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं या जो लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं, वे दूसरों से अलग हो जाते हैं तथा सही समय पर इलाज शुरु कर देते हैं, जिससे उनके द्वारा संक्रमण फैलने की संभावनाएं न्यूनतम हो जाती हैं। इसके विपरीत कुछ लोग जिनमें लक्षण नहीं दिखाई देते या जो अपनी बीमारी के प्रति अनजान रहते हैं। वे समाज में घुले मिले रहते हैं तथा बीमारी का पता नहीं होने के कारण वे इलाज भी नहीं ले पाते। वरन वे नियमित रुप से अपने रोजमर्रा के काम को करते रहते हैं। इससे वे अधिकतम लोगों के संपर्क में आते हैं और अनजाने में ही दूसरों को संक्रमित करते रहते हैं। ऐसे लोगों को सुपरस्प्रेडर कहा जाता है।

महिलाओं की तुलना में पुरुषों को हैं अधिक खतरा
इस रिसर्च में और भी कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं। शोधकर्ताओं ने देखा कि महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों की मृत्यु दर अधिक है। विकसित देशों में वृद्धजनों की मृत्युदर विकासशील देशों की तुलना में कम हैं। वृद्ध महिलाओं की मृत्यु दर पुरुषों की तुलना में कई प्रतिशत कम थी। उदाहरण के लिए, 65-74 वर्ष आयु वर्ग में महिलाओं में सीएफआर 6.67 प्रतिशत था, जबकि पुरुषों में यह 11.5 प्रतिशत था। इसी तरह, 75-84 वर्ष के आयु वर्ग में, महिलाओं में सीएफआर 8.56 प्रतिशत था, जबकि पुरुषों में 16 प्रतिशत था।

रिसर्च में सामने आई प्रमुख बातें इस प्रकार हैं-
1. खुले स्थानों के बजाय तंग और बंद स्थानों पर कोरोना संक्रमण तेजी से फैलता है।
2. अधिकतर कोरोना पीड़ितो को संक्रमण यात्रा के दौरान हुआ।
3. अधिकतर लोगों को कोरोना संक्रमण समान आयु वर्ग के लोगों से ही हुआ। वहीं अधिकांश बच्चों को संक्रमण बड़ों से हुआ।
4. डायबिटीज, डिप्रेशन, कोरोनरी धमनी की बीमारी तथा किडनी की बीमारी से ग्रस्त लोगों को कोरोना संक्रमण में अधिकतम खतरा होता है।


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