अब सोमवार को एक बार फिर से कोरोना मृतकों के परिजनों को मुवाअजा देने से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार को चार हफ्ते का वक्त दिया और कहा इन चार हफ्तों में कोरोना मृतकों के आश्रितों को मुआवजा देने के लिए गाइंडलाइंस बनाएं।
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जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने केंद्र सरकार से कहा कि बीते 30 जून को इस मामले में कोर्ट की ओर से दिए गिए निर्देश को लेकर किए गए किसी भी एक्शन की जानकारी दें। इस पर केंद्र सरकार ने एक हलफनामा दायर करते हुए अतिरिक्त चार हफ्ते का वक्त मांगा।
केंद्र सरकार ने कहा था नहीं दे सकते मुआवजा
आपको बता दें कि इससे पहले बीते 30 जून को इस मामले में हुई सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कोर्ट से कहा था कि वे कोरोना मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये का मुवाअजा नहीं दे सकते हैं। सरकार ने अपने दलील में कहा था कि आपदा कानून के तहत अनिवार्य मुआवजा केवल प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप, बाढ़ आदि पर ही लागू होता है। यदि किसी एक बीमारी की वजह से हुई मौत पर अनुग्रह राशि (ex-gratia) दी जाएगी और दूसरी पर नहीं तो ये गलत होगा। इसपर कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वे इस संबंध में चार हफ्ते में एक गाइडलाइंस तैयार करें।
ये है पूरा मामला
आपको बता दें कि वकील गौरव कुमार बंसल और रीपक कंसल ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की और मांग की कि कोरोना मृतकों के परिजनों को केंद्र सरकार मुआवजा दे, इस संबंध में कोर्ट आदेश जारी करे।
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याचिका में आगे कहा गया कि नेशनल डिज़ास्टर मैनेजमेंट एक्ट की धारा 12 में आपदा से मरने वाले लोगों के लिए सरकारी मुआवजे का प्रावधान है और पिछले साल केंद्र ने सभी राज्यों को कोरोना से मरने वाले लोगों को 4 लाख रुपये मुआवजा देने के लिए कहा था। इस मामले पर बीत 30 जून को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार निर्देश दिया और मुआवजा दिए जाने संबंधि गाइडलाइंस बनाने को कहा।