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जाते जाते समाज की स्थापित कई मान्यताएं तोड़ गईं सुषमा स्वराज

पंचतत्व में विलीन हुईं Sushma Swaraj Bansuri Swaraj ने निभाई अंतिम संस्कार की रस्म अंतिम समय में भी समाज को बड़ा संदेश दे गईं सुषमा स्वराज

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Sushma Swaraj daughter Bansuri

नई दिल्ली। जिंदगी भर लोगों के दिलों पर राज करने वाली बीजेपी की कद्दावर नेता और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ( sushma swaraj Passed Away) ने जाते जाते भी समाज को बड़ा संदेश दिया। जिस वक्त दिल्ली के लोधी रोड स्थित शवदाह गृह में उनका अंतिम संस्कार किया जा रहा था, उस वक्त भारतीय समाज में स्थापित कई मान्यताएं भी टूट रही थी।

बेटी ने दी चिता को मुखाग्नि

रुढ़िवादी भारत में बेटे या पति के हाथों अंतिम संस्कार संपन्न कराया जाता है, लेकिन इसे दरकिनार करते हुए बेटी बांसुरी स्वराज ( Bansuri Swaraj ) ने मां के अंतिम संस्कार की सभी रस्में पूरी की। सुषमा के अंतिम संस्कार के दौरान पति स्वराज कौशल भी बेटी के साथ मौजूद थे लेकिन चिता को मुखाग्नि बांसुरी ने ही दी।

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विद्युत शवदाह गृह में अंतिम संस्कार

'आम लोगों की नेता' की छवि हासिल करने वाली सुषमा स्वराज का अंतिम संस्कार में प्रकृति का भी ख्याल रखा गया। लकड़ी पर शव जलाने की परंपरा के जगह विद्युत शवदाह गृह में उनके शव को पंचतत्व में विलीन किया गया। बांसुरी ही ने मां के अंतिम रस्मों को पूरा किया।

बांसुरी सुषमा, सुषमा स्वराज की एकमात्र संतान हैं। उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट की डिग्री हासिल की है। बांसुरी दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करती हैं।

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दिल का दौरा पड़ने से हुआ निधन

सुषमा स्वराज के निधन से दुनिया भर के लोग हैरान हैं। कई वरिष्ठ नेता और सुषमा के करीबी उनके पार्थिव शरीर को देख अपने आंसू नहीं रोक सके।

67 साल की सुषमा स्वराज का मंगलवार रात निधन ( Sushma Swaraj Passed Away) हो गया। दिल का दौरा पड़ने के बाद उन्हे भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान (AIIMS ) में भर्ती कराया गया था। जहां रात करीब 11 बजकर 15 मिनट पर आखिरी सांस ली। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान विदेश मंत्री रहते हुए सुषमा स्वराज ने दुनिया के कई देशों से फंसे भारतीय नागरिकों की मदद की थीं।


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