
नई दिल्ली। बिहार के मुजफ्फरपुर और आसपास के जिलों में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (चमकी बुखार) का कहर जारी है। अभी तक 93 बच्चों की मौत हो चुकी है। मुजफ्फरपुर में इस बीमारी से स्थिति खराब होती जा रही है। पीड़ित मरीजों को विशेष मेडिकल निगरानी में रखा गया है। वहीं रविवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन मुजफ्फरपुर पहुंचे और श्रीकृष्ण मेडिकल अस्पताल का जायजा लिया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने अस्पताल में पीड़ित बच्चों के परिजनों से मुलाकात की और उन्हें सरकार से संभव मदद का भरोसा दिया। केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने डॉक्टरों के साथ बातचीत की और बिहार सरकार से हालात पर चर्चा की। डॉ हर्षवर्धन के अलावा केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे भी मौजूद थे।
परिजनों को मिलेंगे 4 लाख
इस बीमारी ने मुजफ्फरपुर और आसपास के जिलों में महामारी का रूप धारण कर लिया है। शनिवार को सीएम नीतीश कुमार ने मरने वाले बच्चों के परिजनों को 4 लाख रुपए मुआवजे का ऐलान किया है।
सिविल सर्जन ने जताई महामारी की आशंका
मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन डॉ. शैलेष प्रसाद सिंह के मुताबिक चमकी बुखार से अब तक मरने वालों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। इसमें श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 58 और केजरीवाल अस्पताल में 11 बच्चों की मौत हुई । डॉ. शैलेष प्रसाद का कहना है कि इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो यह महामारी का भी रूप ले सकता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की टीम जांच में जुटी
गौरतलब है कि चमकी बुखार से लगातार हो रही मौतों को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों की एक टीम मुजफ्फरपुर में जांच कर रही है। विशेषज्ञ टीम पता लगाने में जुटी है कि आखिर बच्चों की मौत क्यों हो रही हैं। स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि जिले में पड़ी रही प्रचंड गर्मी से बच्चों के अंदर पानी की मात्रा कम हो रही है। साथ ही लीची खाने से भी बच्चे बीमार पड़ रहे हैं। बताया जा रहा है कि लीची में जहरीले तत्व हैं, जिसके खाने से बच्चे चमकी बुखार की चपेट में आ रहे हैं। हालांकि टीम जांच कर रही है।
मंगल पांडे ने कहा- हर संभव प्रयास जारी
दूसरी तरफ बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने मीडिया से बातचीत में कहा कि स्थिति से निपटने के लिए हम हर संभव कोशिश और कड़ी मेहनत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में जागरूकता फैलाने के लिए कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जा रहा है।
मरने वाले अधिकांश बच्चे 7 साल के
आपको बता दें कि 15 वर्ष तक की उम्र के बच्चे इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। मरने वाले अधिकांश बच्चों की उम्र एक से सात साल के बीच है।
डॉक्टरों के अनुसार इस बीमारी का मुख्य लक्षण तेज बुखार, उल्टी-दस्त, बेहोशी और शरीर के अंगों में रह-रहकर कंपन (चमकी) होना है। बताया जा रहा है कि स्वास्थ्य व्यवस्था खराब होने के कारण बिहार में हर साल चमकी बुखार के दर्जनों बच्चे शिकार होते हैं।
Updated on:
16 Jun 2019 09:58 pm
Published on:
16 Jun 2019 08:00 am
बड़ी खबरें
View Allविविध भारत
ट्रेंडिंग
